भारत देश की अगर बात की जाए तो क्षेत्रफल के मामले
में यह दुनिया का सातवां सबसे बड़ा देश है. यहां का भौगोलिक क्षेत्रफल बहुत अधिक
होने की वजह से यहां अलग-अलग राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश है. लेकिन कभी आपने सोचा
है कि अगर आर्थिक रूप से कमजोर राज्यों का जिक्र किया जाए, तो कौन कौन से राज्य का
नाम सबसे ऊपर होगा. तो शायद ऐसे किसी भी राज्य के बारे में यह कह पाना थोड़ा
मुश्किल है. लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि इस मामले में कौन कौन से राज्य कमजोर
राज्यों की श्रेणी में आते हैं.

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कमजोर श्रेणी में शामिल राज्य

रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट की मानें तो इस
श्रेणी में बिहार, केरल, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और पंजाब शामिल हैं. जीं हां,
शायद ये सुनकर आप चौंक भी सकते हैं लेकिन यह सच है. इन राज्यों की वित्तीय स्थिति
सही नहीं है, जिसके चलते इन राज्यों को कमजोर राज्यों की श्रेणी में रखा गया है.

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सब्सिडी देने के फैसले का असर

आपको बता दें कि यह आकलन आरबीआई के द्वारा किया
गया है. जिसमें पाया गया है कि कोविड पीरियड आने के बाद से इनकी स्थिति कुछ ज्यादा
ही गड़बड़ हुई है. साथ ही साथ माना जा रहा है कि राज्यों के द्वारा लिए नकद
सब्सिडी, मुफ्त में बिजली पानी की सुविधा, पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने जैसे फैसले
भी इन राज्यों की इस स्थिति के जिम्मेदार हैं. इनके इन फैसलों के अलावा भी कई ऐसे
फैसले रहे जिन्होंने राज्य की आर्थिक स्थिति को कमजोर कर दिया.

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आर्थिक कर्ज के बोझ से दबे राज्य

रिपोर्ट्स की मानें तो कुछ राज्य तो कर्ज के
बोझ के तले बहुत बुरी तरह से दबे हुएं हैं. जिनमें पंजाब, राजस्थान, केरल, पश्चिम
बंगाल, बिहार, आंध्र प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, हरियाणा के साथ साथ उत्तर
प्रदेश का नाम भी शामिल है. रिजर्व बैंक का इस पर मानना है कि यह राज्य देश की सभी
राज्यों के कुल खर्च में करीब आधी हिस्सेदारी रखते हैं. वहीं यह भी बताया कि अगर
यह राज्य कर्ज स्तर के लेवल में सुधार लाना चाहते हैं तो इन्हें कुछ महत्वपूर्ण
सुधार के उपायों को अपनाना पड़ेगा. तभी इस स्थिति में संशोधन किया जा सकता है.

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आरबीआई के अनुसार कुछ राज्य रेवेन्यू के कुल
खर्च का 10 फीसदी हिस्सा सब्सिडी पर खर्च करते हैं. फ्री बिजली, फ्री पानी, फ्री परिवहन
और किसानों की कर्जमाफी आदि ऐसे मामले हैं जिनको बिना कैल्कुलेशन किए देने से इस
तरह के संकट का आना तो तय है. इसमें सुधार करने के लिए राज्यों को सोच समझकर विचार
करना होगा और फिर कदम उठाने की आवश्यकता होगी.