भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ऐसे संकेत दिये हैं जिससे आम लोगों की जिंदगी में फिर खलबली मचा सकती है. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार (23 मई) को बढ़ती मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिये जून की शुरुआत में मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में एक और वृद्धि का संकेत दिया है. खुदरा महंगाई दर पिछले चार महीने से केंद्रीय बैंक के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है.

यह भी पढ़ेंः गलत बैंक खाते में पैसे हो गए ट्रांसफर, तो ये 3 तरीके हल करेंगे आपकी समस्या

दास ने सीएनबीसी-टीवी18 से बातचीत में कहा, ‘‘नीतिगत दर में वृद्धि की संभावना है, इसमें बहुत कुछ सोचने वाली बात नहीं है. लेकिन यह वृद्धि कितनी होगी, मैं इस बारे में कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हूं. यह कहना कि यह बढ़कर 5.15 प्रतिशत हो जाएगी, संभवत: बहुत सही नहीं है.’’

मौद्रिक नीति समिति (MPC) की अगली बैठक 6-8 जून को होगी. गौरतलब है कि, आरबीआई ने बिना किसी तय कार्यक्रम के इस महीने की शुरुआत में रेपो दर में 0.4 प्रतिशत की वृद्धि की. चार साल में यह पहला मौका था जबकि रेपो दर में वृद्धि की गयी.

यह भी पढ़ेंः RBI ने लगाया अब इस बैंक से निकासी सहित कई प्रतिबंध

केंद्रीय बैंक ने अप्रैल महीने में मौद्रिक नीति समीक्षा में रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर बढ़ते तनाव का हवाला देते हुए चालू वित्त वर्ष के लिये मुद्रास्फीति अनुमान को 4.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.7 प्रतिशत कर दिया. साथ ही 2022-23 के लिये सकल घरेलू उत्पाद (GDP) अनुमान को 7.8 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया.

दास ने कहा कि रिजर्व बैंक और सरकार ने मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये नये सिरे से समन्वित कदम उठाने शुरू किये हैं. उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ने पिछले दो-तीन महीनों में मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये कई कदम उठाये हैं. दूसरी तरफ, सरकार ने गेहूं निर्यात पर पाबंदी तथा पेट्रोल एवं डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती जैसे कदम उठाए हैं.

यह भी पढ़ेंः EPFO Rule: एक छोटी गलती और बंद हो सकता है आपका PF अकाउंट, जानें डिटेल्स

दास ने कहा कि इन सब उपायों से बढ़ती महंगाई को काबू में लाने में मदद मिलेगी. सरकार ने रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को दो से छह प्रतिशत के दायरे में रखने की जिम्मेदारी दी हुई है. यह अभी इस दायरे से ऊपर है.

ताजा आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर 7.79 प्रतिशत हो गयी जो इससे पूर्व महीने में 6.95 प्रतिशत थी. जबकि अप्रैल 2021 में यह 4.21 प्रतिशत थी.

यह भी पढ़ेंः अब बिना रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर के डाउनलोड करें Aadhar Card, जानें प्रोसेस

गवर्नर ने कहा, ‘‘रूस और ब्राजील को छोड़कर लगभग हर देश में ब्याज दरें निचले स्तर पर हैं. विकसित देशों में मुद्रास्फीति का लक्ष्य करीब दो प्रतिशत है. जापान और एक अन्य देश को छोड़कर सभी विकसित देशों में मुद्रास्फीति सात प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है.’’

राजकोषीय घाटे के संदर्भ में दास ने कहा कि सरकार लक्ष्य को हासिल कर सकती है. उन्होंने यह भी कहा कि कर्ज की सीमा को बढ़ाने की संभवत: जरूरत नहीं पड़ेगी.

वित्त वर्ष 2022-23 के लिये राजकोषीय घाटा 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा गया है.

यह भी पढ़ेंः अब बिना इंटरनेट के भी कर पाएंगे UPI पेमेंट, जान लें ये आसान तरीका