अगर
आप होम, ऑटो या पर्सनल लोन लेने के लिए विचार कर रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए ही है.
गौरतलब है कि आरबीआई की तरफ से  रेपो दर में बढ़ोत्तरी कर दी गई है,
जिसके बाद से बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने भी अपनी ब्याज दरों में वृद्धि करना
शुरू कर दिया है. जिसके चलते होम लोन से लेकर पर्सनल लोन तक सभी प्रकार के लोनों
ने महंगाई की बस पकड़ ली है. आपको बता दें, आरबीआई के द्वारा रेपो दर में वृद्धि
करने के बाद एचडीएफसी लिमिटेड, आइसीआइसीआइ बैंक, बैंक आफ बड़ौदा, पीएनबी, बैंक आफ इंडिया, इंडियन बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक ने भी अपनी कर्ज की
दरों में बढ़ोतरी कर दी है.

पहले अब आपको बता देते हैं कि रेपो दर किसे कहते हैं . रेपो दर उसे कहा जाता है, जिस पर
आरबीआई छोटी अवधि की जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंकों को कर्ज देने का काम करता
है. अब आरबीआई के द्वारा बढ़ोत्तरी होने पर तो लोन तो महंगे होने ही थे.

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वहीं
अगर निजी क्षेत्र के बैंकों की बात की जाए तो आइसीआइसीआइ बैंक ने रेपो आधारित उधारी
दर को 8.10 प्रतिशत से बढ़ाकर 8.60 प्रतिशत किया है. पीएनबी ने रेपो आधारित उधारी
दर को 6.90 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.40 प्रतिशत और वहीं बैंक आफ बड़ौदा ने भी बढ़ाकर
7.40 प्रतिशत ही कर दिया है. एचडीएफसी लिमिटेड की बात की जाए तो उसने होम लोन की
दरों में 0.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है. इंडियन बैंक के द्वारा  ब्याज दर बढ़ाकर 7.75 प्रतिशत और इंडियन ओवरसीज
बैंक ने भी 7.75 प्रतिशत ही कर दिया है. बैंक आफ महाराष्ट्र ने कर्ज की दरों को
7.20 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.70 कर दिया है. इससे अब लोन पर प्रति लाख पर रुपये
ज्यादा देने पड़ेंगे. मतलब क्लियर है जितना बड़ा लोन उतना बड़ा भार हो जाएगा.

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जमा
पर नहीं लागू करते हैं नई दर

जब
भी बात रेपो दर में बढ़ोतरी की आती है बैंक सबसे पहले अपना फायदा देखने में लग जाते
हैं और बैंक कर्ज की दरों में तुरंत क्विक बढ़ोत्तरी करते हैं. लेकिन, वहीं जमा पर
उस वृद्धि को क्विक लागू नहीं किया जाता है. मतलब साफ है कि बैंक लाभ लेने पर
ज्यादा विश्वास करती हैं बल्कि देने पर कम. विशेषज्ञों की मानें तो अधिक मुनाफे के
लिए बैंक अक्सर इस तरह का काम करते हैं.

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दो
महीने में दो बार बढ़ाई गई रेपो दर

रेपो
दर में इस बार दो महीने में दो बार वृद्धि की गयी है. रिपोर्ट की मानें, तो आरबीआइ
ने मई में आकस्मिक बैठक का आयोजन कर रेपो दर में 40 आधार अंकों की बढ़ोतरी की थी. जिसके
बाद आठ जून को समाप्त हुई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में रेपो दर में 50
आधार अंकों की वृद्धि का फैसला किया गया. जिसके चलते आरबीआई के द्वारा बीते दो
महीनों में रेपो दर में कुल 90 आधार अंकों की बढ़ोतरी की गयी है. जिसका असर अब जमीनी
स्तर पर सभी लोनों की महंगाई के रुप में देखने को मिल रहा है.