RBI: भारतीय रिर्जव बैंक ने अपनी तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक (MPC Meeting) के बाद अपना फैसला सुना दिया है. इसके तहत त्योहारी सीजन में आम लोगों को किसी तरह की राहत नहीं देने का फैसला किया है. हालांकि, ब्याज दर में किसी तरह का बदलाव नहीं कर ग्राहकों को थोड़ी राहत दी है. ऐसा माना जा रहा था कि, चुनाव के बीच त्योहारी सीजन में Repo Rate में कटौती कर RBI लोगों को राहत देगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. देश में महंगाई चरम पर होने के बावजूद नीतिगत दरों में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया. ये चौथी बार है जब रेपो रेट में बदलाव नहीं किया गया है

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RBI ने Repo Rate समेत GDP ग्रोथ में भी बदलाव नहीं किया

मौजूदा समय में रेपो रेट 6.50 फीसदी है. अब इसे यथावत रखने का फैसला किया गया है. साल 2022 मई में में ये दर 4 फीसदी थी. लेकिन फरवरी 2023 तक 6.50 फीसदी कर दी गई थी. वहीं, देश की GDP ग्रोथ में भी बदलाव नहीं किया है. यानी दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी ग्रोथ अनुमान 6.5 फीसदी रखा गया है. वहीं FY24 की तीसरी तिमाही के लिए यह 6 फीसदी और चौथी तिमाही के लिए इसे 5.7 फीसदी पर बरकरार रखा गया. FY25 की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 6.6 फीसदी की दर से रहने का अनुमान लगाया गया है.

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क्या है रेपो रेट

रेपो रेट वह दर है जिसपर RBI सार्वजनिक बैंक को कर्ज देती है. ऐसे में रेपो रेट में इजाफा होता है तो बैंक को महंगी दरों पर आरबीआई से कर्ज मिलता है. ऐसे में आम लोग जो लोन लेते हैं तो उनके लिए भी कर्ज महंगा हो जाता है. ऐसे में उनकी Loan की EMI बढ़ जाती है. वहीं, जब रेपो रेट में गिरावट होती है तो बैंक भी अपने ग्राहकों से लेने वाले कर्ज पर ब्याज को कम कर देता है और लोन की ईएमआई कम हो जाती है.

इसी तरह से रिवर्स रेपो रेट होता है. इसके तहत जब बैंक अपने पैसे आरबीआई के पास रखती है तो इस पर बैकों को आरबीआई से ब्याज दिया जाता है. हालांकि, इसका दर रेपो रेट के मुताबिक ही तय किया जाता है.