भारतीय नोटों पर गांधी जी की तस्वीर को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं. ऐसे में बहुत से लोगों का मानना है कि नोटों पर से महात्मा गांधी की तस्वीर हटा देनी चाहिए और वहीं कुछ लोगों का मानना रहा है कि नोट पर महात्मा गांधी की तस्वीर रहनी चाहिए. इसके साथ ही कई लोगों के मत निकलकर सामने आए कि नोटों पर दूसरे महापुरुषों की तस्वीरें भी छपनी चाहिए. अभी कुछ समय पहले भी कुछ संगठनों के द्वारा नोटों पर महात्मा गांधी की जगह नेताजी सुभाष चंद्र बोस और शहीद भगत सिंह की तस्वीर को छापने की मांग उठाई गई थी.

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क्या ऐसा हो पाना संभव है?

ऐसे में इस प्रश्न का सीधा व स्पष्ट जवाब है कि नहीं. आजतक की एक रिपोर्ट की मानें, तो आजादी के बाद कई सालों तक नोटों पर अशोक स्तंभ या दूसरे प्रतीक छपते रहे थे. महात्मा गांधी की तस्वीर लगाने का फैसला ही इसलिए लिया गया था, क्योंकि उनकी स्वीकार्यता पूरे देश में थी. दूसरे किसी नेता की फोटों छपने पर विवाद की स्तिथि बनने का डर था. इसलिए नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर छापने का फैसला लिया गया.

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भारतीय दस रूपये

इस मामले पर आरबीआई की कमेटी का हुआ था गठन

आजतक की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय नोटों पर गांधी जी की तस्वीर की जगह अन्य किसी महापुरुष की तस्वीर छापने को लेकर केंद्रीय रिजर्व बैंक (RBI) की एक कमेटी का गठन किया गया था. इसपर नवंबर 2014 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में बताया था कि आरबीआई की कमेटी ने महात्मा गांधी की बजाय दूसरे किसी नेता की तस्वीर न छापने का निर्णय लिया है, क्योंकि कोई भी व्यक्ति गांधीजी से ज्यादा देश के स्वभाव का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता. हाल ही में नोटों से गांधी जी की तस्वीर हटाने की अफवाहें उड़ी थीं, आरबीआई ने इसक खंडन कर दिया था. 

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पहली बार कब करेंसी पर महात्मा गांधी की तस्वीर छापी गई

महात्मा गांधी के 100वें जन्मदिन के अवसर पर पहली बार करंसी पर महात्मा गांधी की तस्वीर छापी गई. इसमें महात्मा गांधी को बैठे हुआ दिखाया गया था. पीछे सेवाग्राम आश्रम छपा था. करंसी पर छपने वाली महात्मा गांधी की ये तस्वीर 1946 में खींची गई थी. जब महात्मा गांधी लॉर्ड फ्रेडरिक पेथिक लॉरेंस विक्ट्री हाउस में पहुंचे हुए थे.