प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार 11 जुलाई को नए संसद भवन की छत पर
बने 21 फुट ऊंचे अशोक स्तंभ (Ashok Stambh) का अनावरण किया. भारत के
राष्ट्रीय प्रतीक को लेकर इसके बाद खूब चर्चा हो रही हैं. कांसे से बनाया गया नया
भव्य अशोक स्तंभ विवादों में घिर गया है. विपक्षी दल अशोक की लाट के मोहक और राजसी
शान वाले शेरों की जगह उग्र शेरों का चित्रण कर राष्ट्रीय प्रतीक के स्वरूप को
बदलने का आरोप लगा रहे हैं.

असदउद्दीन ओवैसी, महुआ मोइत्रा सहित कई विपक्षी नेता इस
मामले पर लगातार सवाल उठा रहे हैं. इन आरोपों पर बीजेपी ने भी पलटवार किया है.
भारतीय जनता पार्टी ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने की एक और ‘साजिश’ बताकर आरोपों को खारिज कर दिया
हैं.

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क्या
बोले असदुद्दीन ओवैसी
?

अशोक स्तंभ विवाद (Ashok Stambh Controversy) की शुरूआत हैदराबाद के सांसद और
AIMIM
चीफ असदुद्दीन
ओवैसी
(Asaduddin Owaisi) ने की. उन्होंने पीएम द्वारा इसका अनावरण करने को संवैधानिक
मानदंडों का उल्लंघन बताया. उन्होंने कहा कि, “संविधान संसद, सरकार और न्यायपालिका की
शक्तियों को अलग करता है.

सरकार के प्रमुख के रूप में पीएम को नए संसद भवन के ऊपर
राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण नहीं करना चाहिए था.” औवेसी की मुख्य आपत्ति अशोक
स्तंभ के डिजाइन को लेकर नहीं बल्कि प्रधानमंत्री द्वारा अनावरण होने से थी लेकिन
आगे चलकर इसके स्वरूप पर भी सवाल उठने लगे.

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महुआ मोईत्रा ने बोला हमला

तृणमूल कांग्रेस की लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा (Mahua
Moitra) ने अपने
ट्वीटर पर नए और पुराने अशोक स्तंभ की तस्वीर शेयर की. इसमें उन्होंने कुछ लिखा
नहीं, लेकिन
दोनों तस्वीरों को तुलनात्मक रुप से अलग-अलग दिखाने की कोशिश की गई है. अगले ट्वीट
में उन्होंने लिखा कि सच कहूं तो ‘सत्यमेव जयते’ का ‘सिंहमेव जयते’ में परिवर्तन काफी पहले हो चुका
है. उनका इशारा नये अशोक स्तंभ में शेरों के चेहरों के भाव बदलने की ओर था.

जयराम रमेश का सवाल

कांग्रेस नेता और राज्य सभा सदस्य जयराम रमेश (Jairam
Ramesh) ने इस
मामले में सरकार को घेरते हुए ट्वीट किया, “सारनाथ में अशोक के स्तंभ पर शेरों के
चरित्र और प्रकृति को पूरी तरह से बदलना भारत के राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान
है.”

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इतिहासकर इरफान हबीब ने उठाए सवाल

इतिहासकार एस. इरफान हबीब ने भी नए संसद भवन की छत पर
स्थापित राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ पर सवाल उठाये हैं. उन्होंने कहा, ‘हमारे राष्ट्रीय प्रतीक के साथ
छेड़छाड़ पूरी तरह अनावश्यक है और इससे बचा जाना चाहिए था. हमारे शेर अति क्रूर और
बेचैनी से भरे क्यों दिख रहे हैं? ये अशोक की लाट के शेर हैं जिसे 1950 में स्वतंत्र भारत में अपनाया
गया था.

संजय सिंह ने लगाया राष्ट्र विरोधी होने का आरोप

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह (Sanjay Singh) ने भाजपा पर राष्ट्र विरोधी होने का आरोप लगा दिया. उन्होंने ट्वीट किया-‘मैं 130 करोड़ भारतवासियों से पूछना चाहता हूं राष्ट्रीय चिन्ह बदलने वालों को “राष्ट्र विरोधी”बोलना चाहिये कि नहीं बोलना चाहिये.’ 

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विपक्ष को भाजपा का जवाब

भाजपा के मुख्य प्रवक्ता और राज्यसभा के सदस्य अनिल बलूनी (Anil Baluni) ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा कि विपक्ष के आरोपों की मूल वजह उनकी कुंठा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के कार्यकाल में, अंग्रेजों द्वारा 150 साल पहले बनाए गए संसद भवन की जगह भारत अपना नया संसद भवन बना रहा है. उन्होंने कहा, ‘विपक्षी दल किसी ना किसी बहाने प्रधानमंत्री मोदी को निशाना बनाना चाहते हैं. यह लोगों को गुमराह कर वातावरण को दूषित करने का महज एक षड़यंत्र है.’

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हरदीप सिंह पुरी का बचाव

शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी (Hardeep Singh Puri) ने अपने बचाव में कहा कि यदि सारनाथ स्थित राष्ट्रीय प्रतीक के आकार को बढ़ाया जाए या नए संसद भवन पर बने प्रतीक के आकार को छोटा किया जाए, तो दोनों में कोई अंतर नहीं होगा. पुरी ने कहा, ‘सारनाथ स्थित मूल प्रतीक 1.6 मीटर ऊंचा है जबकि नए संसद भवन के ऊपर बना प्रतीक विशाल और 6.5 मीटर ऊंचा है.’ यहीं वजह हैं कि नया अशोक स्तंभ थोड़ा अलग दिखाई दे रहा हैं.