भारत न सिर्फ खूबसूरत जगहों के लिए मशहूर है, बल्कि यहां के रीति-रिवाज और मान्यताएं भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं. आप भारत के कई अलग-अलग तरह के गांव के बारे में जानते होंगे, जहां पूजा से लेकर त्योहारों तक की अपनी ही मान्यता होंगी. लेकिन क्या आप एक ऐसे गांव के बारे में जानते हैं जिसे कॉर्न विलेज कहा जाता है? इस गांव का वास्तविक नाम सैंजी गांव है. इसे कॉर्न विलेज क्यों कहा जाता है, इसका मतलब इस गांव में कदम रखते ही समझ आ जाता है. इस गांव में ऐसा बहुत कुछ हैं, जो असामान्य है. टिहरी गढ़वाल जिले में मसूरी के प्रसिद्ध केम्पटी फॉल्स से 5 किमी की दूरी पर सैंजी गांव है.

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क्यों है ये गांव इतना मशहूर?

सैंजी गांव अपनी विशेषता के कारण पर्यटकों के बीच काफी पॉपुलर है. यहां आपको हर घर में मक्के लटकते हुए नजर आएंगे. वास्तव में मक्के गांव की खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं. गांव में मक्का इसलिए लटकाई जाती है, क्योंकि इन्हें सुखाना और अगले वर्ष बीज के रूप में उपयोग में लाया जाता है. यह खेत के बीज उपलब्ध कराने के साथ घरों की साज-सज्जा में इजाफा करता है. आप यहां कि बालकनियों, खिड़कियों और दरवाजों को फसलों से ढ़का हुआ देख सकते हैं.

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मकई है मुख्य फसल

इस गांव में मकई को इसलिए खास माना जाता है क्योंकि यहां की मुख्य फसल ही मकई है. ग्रामीण लोग फसल को सुखाने के बाद इसका आटा बनाते हैं. यहां हर घर को पके हुए मक्के से खूबसूरती से सजाया जाता है. मकई को यहां के लोग धन लाभ का प्रतीक मानते हैं और इसे अपने घर के बाहर लटकाते हैं.

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बेहद खूबसूरत है गांव

सैंजी गांव की मान्यताओं की तरह, यह पूरा गांव भी बेहद खूबसूरत है. यहां लोग दूर-दूर से घूमने भी आते हैं. सबसे खास बात यह है कि यहां के निवासी सैंजी गांव को साफ और स्वच्छ बनाए रखते हैं. यहां पर ग्रामीण न केवल मक्का, बल्कि गेहूं, चावल और अन्य सब्जियां भी उगाते हैं. फसल के मौसम के ठीक बाद , कुछ खेतों को सर्दियों के लिए तैयार किया जाता है. इसके अलावा, सैंजी गांव का एक जरूरी त्योहार है जिसे गोट फेस्टिवल कहा जाता है. इस दिन बकरों की बलि दी जाती है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)