हलवा, चीला, पकोड़े और ढोकला ऐसे पकवान है जिनको बेसन और सूजी की मदद से बनाया जाता है. लोग इन्हें बड़े ही मजे के साथ खाते हैं. परंतु क्या आपको पता है सूजी और बेसन का सेवन किन परिस्थितियों में नहीं करना चाहिए? दरअसल, कुछ लोगों को बेसन और सूजी को खाने के बाद पेट फूलने, एसिडिटी और बदहजमी की शिकायत होती है. इसके अलावा कुछ लोगों को इनसे एलर्जी भी होती है. दरअसल, यह सब बेसन और सूजी को खाने के नुकसान है जिन्हें लोग पहचान नहीं पाते.

बेसन और सूजी में भरपूर मात्रा में फाइबर, प्रोटीन मौजूद होता है. अगर इनका ज्यादा सेवन कर लिया जाए तो हमारे मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करता है और नॉर्मल चीजों के मुकाबले इन्हें पचाने में ज्यादा समय ले लेता है. अपने इस लेख में हम आपको बताएंगे कि किन-किन स्थितियों में आपको बेसन और सूजी खाने से बचना चाहिए.

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इन स्थितियों में न करें बेसन और सूजी का सेवन

1. कब्ज होने पर

कब्ज की समस्या के दौरान बेसन व सूजी का सेवन कभी न करें. इससे आपकी समस्या और बढ़ सकती है. बेसन और सूजी में अधिक मात्रा में फाइबर मौजूद होता है. इसका अधिक सेवन पेट के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है. बता दें कि बेसन एंटीन्यूट्रिएंट होता है और वह शरीर में बाकी न्यूट्रिएंट्स के अवशोषण को नुकसान पहुंचाने का काम करता है. साथ ही इसके साथ पर्याप्त पानी ना पीने से यह शरीर में पानी की कमी पैदा करता है. जिससे मल सूख जाता है और कब्ज की समस्या उत्पन्न हो जाती है. ऐसा ही कुछ सूजी के साथ है. सूजी पानी सोखने लगता है और जब आप इसे ज्यादा मात्रा में खाते हैं तो यह पाचन क्रिया को बांधने लगता है और कब्ज की समस्या हो जाती है.

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2. एसिडिटी और ब्लाॅटिंग की समस्या में

बहुत लोगों को बेसन और सूजी खाने के बाद एसिडिटी और ब्लाॅटिंग की समस्या होने लगती है. बता दें कि अधिक मात्रा में बेसन और सूजी का सेवन पहले तो आप के मेटाबॉलिज्म को स्लो कर देता है और पेट को लंबे समय तक भरा-भरा रखता है. इसके अलावा बेसन और सूजी से बनी चीजों को खाने के बाद पानी पीने की ज्यादा जरूरत महसूस होती है और जब हम ऐसा नहीं करते और एक के बाद एक चीजें खाते जाते हैं तो हमें एसिडिटी और ब्लाॅटिंग की समस्या हो जाती है.

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3. खाली पेट

खाली पेट बेसन और सूजी का सेवन फायदेमंद नहीं होता है. बता दें कि पहले तो यह आपके पेट के पीएच के स्तर को बिगाड़ता है. दूसरा मेटाबाॅलिज्म को स्लो करता है और दिन भर भूख नहीं लगने देता है. साथ ही सुबह-सुबह भारी मात्रा में फाइबर और प्रोटीन लेने से सुस्ती महसूस होने लगती है और दिन भर आप आलस महसूस करते हैं इसलिए सुबह-सुबह खाली पेट बेसन और सूजी से बनी चीजों की जगह रागी और ओट्स जैसी चीजों को खाना चाहिए. इसके अलावा आप फस, स्मूदी और दलिया आदि को नाश्ते के रुप में खा सकते हैं.

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4. लो ब्लड शुगर वाले लोगों को

सूजी के अंदर भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है. फाइबर आपके रक्त प्रवाह में कार्बोस के अवशोषण को धीमा करने का काम करता है और भोजन के बाद ब्लड शुगर के स्पाइक्स को नियंत्रित करने में मदद करता है. इसी तरह चने का बेसन डायबिटीज वालों के लिए फायदेमंद है क्योंकि उसमें मौजूद फाइबर ब्लड शुगर को संतुलित करने में मददगार है लेकिन जिन लोगों को लो ब्लड शुगर की समस्या है उन्हें इसका रेगुलर सेवन नहीं करना चाहिए. इससे शरीर में कई परेशानियां जन्म ले सकती है जैसे कि चक्कर आना, ताकत की कमी और काम करने में परेशानी होना आदि.

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5. एलर्जी होने पर

अगर किसी व्यक्ति हो गेहूं से एलर्जी होती है तो उसे सूजी या सूजी से बनी किसी भी चीज का सेवन नहीं करना चाहिए. ऐसे में आपको पित्ती, नाक बहना, छींकना, पेट में ऐंठन, मतली, उल्टी या अस्थमा जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं. इसी तरह अगर किसी व्यक्ति को ग्लूटेन सेंसिटिविटी और सीलिएक रोग है तो सूजी का सेवन पेट में दर्द, दस्त, सूजन का अनुभव करवा सकता है. वहीं, कुछ लोगों को बेसन खाने से एलर्जी होती है. ऐसे में उनकी त्वचा पर लाल चकत्ते और पित्ती आदि की समस्या हो जाती है. ऊपर बताई गई स्थितियों में आपको बेसन और सूजी के पकवान खाने से बचना चाहिए. इसके अलावा आजकल बाजार में मिलावटी बेसन और सूजी भी मिल रहा है. जिसकी वजह से आपकी सेहत पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ सकता है.

(नोट: इस लेख में दी गई जानकारी को सूचना के रूप में ही लें, इन बातों पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें.)

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