पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) के निधन की खबर खूब सुर्खियों में है. मगर शुक्रवार को परिवार वालों ने इस बात की पुष्टि की है कि ये खबर अफवाह है, हालांकि उनकी स्थिति खराब है लेकिन वेंटीलेटर पर भी नहीं हैं. परवेज मुशर्रफ पाकिस्तान के पावरफुल नेताओं में से एक रहे हैं लेकिन कुछ समय से उनकी तबीयत खराब होने की खबर लगातार आ रही है. परवेज मुशर्रफ के बारे में अगर आप ठीक से नहीं जानते हैं तो चलिए आपको बताते हैं.

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कौन हैं परवेज मुशर्रफ?

11 अगस्त 1943 को नई दिल्ली के दरियागंज में जन्में परवेज मुशर्रफ का परिवार आजादी के बाद पाकिस्तान चला गया. विभाजन के कुछ दिनों बाद ही उनका परिवार पाकिस्तान पहुंचा और उनके पिता ने पाकिस्तान विदेश मंत्रालय से जुड़े और सरकार के लिए काम करना शुरू कर दिया. इसके बाद उनके पिता का ट्रांसफर तुर्की हो गया तो 1949 में वे तुर्की चले गए. कुछ सालों तक वे परिवार सहित तुर्की में रहे और वहां रहने के दौरान परवेज मुशर्रफ तुर्की भाषा बोलना सीख गए. बाद में उनका परिवार पाकिस्तान लौटा और मुशर्रफ की पढ़ाई कराची के सेंट पैट्रिक स्कूल में हुई इसके बाद लाहौर के फॉरमैन क्रिश्चियन कॉलेज में आगे की पढ़ाई हुई.

साल 1961 में मुशर्रफ पाकिस्तान सेना में भर्ती हुए और साथ ही वे एक शानदार खिलाड़ी भी रहे.साल 1965 में मुशर्रफ ने अपना पहाल युद्ध भारत के खिलाफ लड़ा जिसके लिए उन्हें वीरता पुरस्कार देकर सम्मान दिया गया. साल 1971 में भारत के साथ दूसरे युद्ध में पाकिस्तान की हार हुई थी. अक्टूबर, 1998 में मुशर्रफ को जनरल का पद मिला और वे सैन्य प्रमुख बन गए. साल 1999 में उन्हें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के पद के लिए सत्ता मिली और साल 2002 में आम चुनावों में उन्हें बहुमत मिला.

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मुशर्रफ को आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश का समर्थन भी मिला. आतंक के खिलाफ युद्ध के कारण ही नाटो सेना के संगठन में पाकिस्तान एक महत्वपूर्ण सहयोगी देश बना था. मुशर्रफ के समर्थकों ने हमेशा उन्हें एक मजबूत सफल नेता माना लेकिन साल 2007 में लाल मस्जिद में हुई सैनिक कार्रवाई में 105 से ज्यादा लोग मारे गए जिसके बाद लोगों की सोच उनके लिए बदली.

6 अक्टूबर, 2007 को वे राष्ट्रपति चुनाव जीते लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार करना पडा. सुप्रीम कोर्ट ने 2 नवंबर को चर्चा की और 3 नवंबर को मुशर्रफ ने पातिक्सान में इमरजेंसी लागू की. 24 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया और वे पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने. 7 अगस्त, 2008 को पाकिस्तान की नई गठबंधन सरकार ने परवेज मुशर्रफ पर महाभियोग चलाने का फैसला लिया गया और उनके 65वें बर्थडे पर संसद ने उनके ऊपर महाभियोग की कार्रवाई शुरू कर दी. 18 अगस्त, 2008 को मुशर्रफ ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था.

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कैसी है मुशर्रफ की आत्मकथा?

साल 2006 में परवेज मुशर्रफ की आत्मकथा ‘इन द लाइन ऑफ फायर-अ मेमॉयर’ लॉन्च हुई. इस किताब में उनके विमोचन से पहले की भी चर्चा लिखी गई. इस किताब के लोकप्रिय होने का कारण मुशर्रफ के कई विवाद भी रहे हैं. जिसमें कारगिल संघर्ष और पाकिस्तान में हुए सैन्य तख्तापलट जैसी घटनाओं के बारे में विस्तार से लिखा गया है.

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