प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल की सरकार पर भ्रष्टाचार, वोट बैंक की राजनीति के लिए तुष्टीकरण, माफियाराज और हिंसा की राजनीति को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि राज्य में तृणमूल कांग्रेस की ‘‘निर्मम’’ सरकार के दिन अब गिनती के रह गए हैं.

तृणमूल कांग्रेस की बंगाली उप राष्ट्रवाद की रणनीति की धार को कुंद करने की कोशिश के तहत मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा उठाया और तृणमूल कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष की ‘तृष्टीकरण की राजनीति’ की वजह से वर्ष 2008 की बाटला हाउस मुठभेड़ और 2019 में पुलवामा में हुए हमले पर उनके रुख पर आश्चर्य व्यक्त किया. उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव से पहले हुए पुलवामा हमले के समय ममता बनर्जी ने सवाल उठाया था और बाटला हाउस मुठभेड़ को फर्जी करार दिया था.  राज्य के आदिवासी जंगलमहल इलाके में यहां एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने कभी दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों की चिंता नहीं की और राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी की ‘कटमनी’ की संस्कृति और ‘तोलाबाजी’ (फिरौती) के सबसे अधिक पीड़ित ये वर्ग हैं. प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी की सरकार जनता के पैसे लूटने वाले माआवोदियों को संरक्षण प्रदान कर रही है.

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जनसभा को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘घुसपैठ की एकमात्र अहम वजह दीदी की सरकार की तृष्टीकरण और वोट बैंक की राजनीति है.’’ उन्होंने ममता बनर्जी के ‘‘खेला होबे’’ वाले बयान का उल्लेख किया और कहा कि दो मई को विधानसभा चुनाव के लिए मतों की गिनती होगी और उस दिन दीदी का ‘खेला शेष होबे, विकास शुरू’ होगा. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री का ‘खेला होबे’. इस नारे का उल्लेख मुख्यमंत्री अपनी रैलियों में करती हैं. मोदी ने कहा, ‘‘बंगाल की जनता की याददाश्त बहुत तेज है. बंगाल को याद है कि किसने सेना पर तख्तापलट करने का आरोप लगाया था, पुलवामा हमले और बाटला हाउस मुठभेड़ के दौरान कौन किस ओर था.’’

प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि वाम और टीएमसी सरकारों ने पुरुलिया के औद्योगिक विकास को नजरअंदाज किया. मोदी ने कहा कि तृणमूल सरकार ‘खेला’ खेलने में व्यस्त थी तथा आदिवासी इलाके और संकट में चले गए, उद्योगों को यहां लगाने नहीं दिया गया, खेती मुश्किल हो गई और लोगों को रोजगार की तलाश में पलायन करने पर मजबूर होना पड़ा. मोदी ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ टीएमसी ने दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को कभी अपना नहीं माना और ये वर्ग राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी के ‘तोलाबाजी’ (वसूली) से सबसे ज्यादा पीड़ित हैं.

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मोदी ने कहा, ‘‘दीदी कहती हैं खेला होबे, भाजपा कहती है रोजगार होना चाहिए, दीदी कहती हैं खेला होबे, भाजपा कहती है विकास होना चाहिए, दीदी कहती हैं खेला होबे, भाजपा कहती है शिक्षा होनी चाहिए, दीदी कहती हैं खेला होबे, भाजपा कहती है महिलाओं का सशक्तीकरण होना चाहिए, भाजपा कहती है कि आपको पक्का मकान और पाइप से पानी का कनेक्शन मिलेगा.’’ मोदी ने आरोप लगाया, ‘‘तृणमूल कांग्रेस ने माओवादियों की नई नस्ल बनाई जिसने जनता के पैसे लूटे, जो गरीबों के लिए थे. दीदी की सरकार ने माओवादी हिंसा को संरक्षण दिया.’’

प्रधानमंत्री ने कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए लगाए लॉकडाउन के दौरान भी किए गए कथित भ्रष्टाचार के मुद्दे पर टीएमसी सरकार को घेरा. प्रदेश सरकार द्वारा केंद्र की कुछ योजनाओं को लागू न किए जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हम प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) में यकीन रखते हैं जबकि टीएमसी दलाली लेने (ट्रांसफर माय कमीशन) में यकीन रखती है.’’

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