भारत सरकार ने अग्निपथ योजना लाने से पहले वर्षों की प्लानिंग की है. सरकार की ओर से एक्सपर्ट से बात की गई है और एक रोडमैप बनाया गया.

आजतक न्यूज़ के अनुसार, अग्निपथ योजना (Agneepath Scheme) के द्वारा सरकार केवल पेंशन को कम नहीं करना चाहती है बल्कि आने वाले समय में भारतीय सेना में जवानों की संख्या को कम करने पर भी जोर है.   

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बताया जा रहा है कि आज के समय में सेना में जवानों की संख्या 13 लाख से अधिक है. लेकिन इसी आंकड़े को अब आने वाले सालों में 11 लाख के भीतर लाने की कोशिश की जाएगी. इस संबंध में एक सरकारी अधिकारी ने कहा है कि आने वाले 10 सालों में एक तय प्रक्रिया के अनुसार इसे किया जाएगा.ये देखा गया है कि यदि देश की सेना को मॉर्डन बनना है और अगर टेक्नोलॉजी में एंडवास होना है. ऐसे में मैनपॉवर इंटेनसिव नहीं बन सकते हैं.

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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अनुमान तो इस बात का भी लगाया जा रहा है कि आज से 10 से 15 साल बाद भारतीय सेना में जवानों की संख्या 10 से 10.5 लाख पर पहुंच जाएगी और फिर कई सालों तक इसे इसी आंकड़े के आसपास रखा जा सकेगा. खास बात बता दें कि ये भी रहेगी कि अग्निपथ योजना के कारण 4 साल के अंदर 75 प्रतिशत से अधिक जवान सेना छोड़ जाएंगे. ऐसे में लंबे समय में पेंशन का भार भी कम होता जाएगा. इन्हीं मुद्दों के मद्देनजर सरकार ये अग्निपथ योजना लेकर आई है.

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आज के समय में सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये भी है कि डिफेंस बजट बढ़ाने के बाद भी सेना के पास ताकतवर और नए हथियारों की कमी रहती है. इसकी वजह ये है कि अभी भी रक्षा बजट का बड़ा हिस्सा पेंशन देने में निकल जाता है. रक्षा बजट के लिए वर्ष 2022 में 5,25,166.15 करोड़ रुपये दिए गए थे. लेकिन इसमें नए हथियारों की खरीदारी के लिए केवल 1,52,369.61 करोड़ रुपये ही बचे हैं.

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अग्निपथ योजना के द्वारा एक और पहलू पर भी सरकार कार्य कर रही है. इस समय सेना में जवानों की औसतन उम्र अधिक चल रही है. इसे भी समय के साथ कम करना एक चुनौती के रूप में देखा जा रहा है.सरकार ये मानकर चल रही है कि अग्निपथ योजना इस दिशा में भी कारगर सफल हो सकती है. ऐसा कहा जा रहा है कि आने वाले वर्षों में औसतन उम्र 30 से कम होकर 25 तक पहुंच जाएगी.