प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 29 सितम्बर को आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का उद्घाटन किया. इस डिजिटल मिशन का लक्ष्य भारत के प्रत्येक नागरिक का डिजिटल हेल्थ कार्ड बनाना है. इसके जरिये (Unique Digital Health ID) भी मिलेगी. इस डिजिटल कार्ड में 14 अंको की आईडी होगी जिसमें नागरिकों के स्वास्थ सम्बंधित सूचनाओं को डिजिटल रूप में गोपनीयता के साथ रखा जायेगा. योजना का उद्देश्य देश की स्वास्थ व्यवस्था को डिजिटल करना है.

आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का उद्धघाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन के माध्यम से इस मिशन को भारत की स्वास्थ सेवा का क्रांतिकारी मिशन बताया, प्रधानमंत्री ने कहा की ” विगत 7 वर्षों में भारत की स्वास्थ व्यवस्था को दुरुस्त करने का अभियान सरकार चला रही है, उसे इस डिजिटल भारत मिशन के नई दिशा मिलेगी. आज से एक ऐसे मिशन की पहल हो रही है जो भारत की स्वास्थ सेवा में क्रांति लाने का काम करेगी. आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन भारत के अस्पतालों की प्रतिक्रिया को सरल बनाने के साथ ही डिजिटल हेल्थ इंश्योरेंस और अस्पतालों को आपस में जोड़ने का काम करेगा.”

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डिजिटल हेल्थ कार्ड क्या है ?

आधार की तर्ज पर तैयार किया गया डिजिटल हेल्थ कार्ड 14 अंकों की आईडी के साथ आपकी स्वास्थ सम्बंधित जानकारियों का इतिहास रखेगा. जिसमे हर व्यक्ति के इलाज, टेस्ट और उनसे जुडी दवाईयों का लेखा जोखा होगा. इंसान को कौन सी बीमारी हुई है और कौन सी बीमारियां है? इसका पता भी इस हेल्थ कार्ड के जरिये लग सकेगा. मरीज को किस स्वास्थ योजना का लाभ उठा चूका है और कौन सी स्वास्थ योजना का लाभ मरीज ले रहा है, ये सभी जानकारियां इस हेल्थ कार्ड के जरिये पता लगायी जा सकती है .”

कार्ड बनवाने की प्रक्रिया क्या है ?

हेल्थ कार्ड बनाने के लिए ndhm.gov.in पर विजिट करें, इसके बाद वहां क्रिएट हेल्थ आईडी का विकल्प दिखेगा. उस पर क्लिक करने के बाद अपने 10 अंकों का मोबाइल या आधार नंबर नंबर दर्ज करना होगा . इसके बाद आपके आधार से जुड़े मोबाइल नंबर पर ओटीपी प्राप्त होगा , जिसे दर्ज कर आप अपना पंजीकरण सुनिश्चितकर सकते है. इसके बाद एक फॉर्म खुलेगा उसमे खुद से सम्बंधित जानकारियां सहित एक पासपोर्ट फोटो अपलोड करना होगा. जिसके बाद आपका डिजिटल हेल्थ कार्ड आपके स्क्रीन पर दिखेगा. उसकी प्रिंट निकाल कर रख ले. जो लोग हेल्थ कार्ड खुद से बनाने में अक्षम है वो अपने नजदीकी स्वास्थ केंद्र या सरकारी अस्पताल में जाकर हेल्थ केयर प्रोवाइडर से के सहयोग से अपना हेल्थ कार्ड बना सकते है.

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डाटा को कैसे दर्ज किया जायेगा ?

सभी अस्पतालों के सभी मरीजों का डाटा एकत्रित करने के लिए देशभर के अस्पतालों को एक डिजिटल सर्वर से जोड़ा जायेगा. डिजिटल सर्वर से जुड़ने के सभी डॉक्टरों एवं स्वास्थकर्मियों को ‘एनडीएचएम हेल्थ रिकॉर्ड्स ऐप’ डाउनलोड करना होगा. स्वास्थ्यकर्मी और अस्पताल मरीज की इजाजत से यूनिक आईडी के डालकर उनसे जुड़े स्वास्थ्य डाटा को देख सकेगा. मरीज जब चाहे अपनी हेल्थ रिकॉर्ड डिलीट कर सकता है.”

क्या है महत्व?

डिजिटल कार्ड का सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि इसको बनवा लेने के बाद डॉक्टर के पास पुराने पर्चे और रिपोर्ट साथ ले जाने की झंझट खत्म नहीं होगी. साथ ही अगर कोई दस्तावेज़ खो गया है तो उसे इस कार्ड के जरिये दुबारा डाउनलोड किया जा सकता है.”

आप चाहे भारत किसी भी राज्य के गांव शहर कस्बों में इलाज कराएं डॉक्टर आपकी सहमति से आपके यूनीक आईडी से पिछली स्वास्थ्य संबंधी जानकारियों को देख पाएगा.

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क्या है चिंताए?

सरकार का विश्वास है की उनके नागरिक डिजिटल माध्यम अपने डाटा को गोपनीयता से रख सकेंगे लेकिन साइबर सिक्योरिटी से जुड़े विशेषज्ञों की माने तो काफी हद तक सरकार की ये पहल उल्लेखनीय है तो वहीं कुछ हद तक डाटा की असुरक्षा की चिंता भी जताई है.”

हाल ही में साइबर विशेषज्ञ पवन दुग्गल ने एक मिडिया संस्थान से मुखातिब होकर कहा की भारत में डाटा सुरक्षा क़ानून की कमी है. पवन दुग्गल कहते हैं कि जितनी भी घोषणाएं हो रही हैं उसमें ये पता नहीं लग पा रहा है कि साइबर सुरक्षा को लेकर क्या-क्या कदम उठाए गए हैं.हाल ही के वर्षों सरकार की आधार योजना का डाटा के पूरी तरह सुरक्षित न होने का दावा किया जाता रहा है. ऐसे में तो डिजिटल हेल्थ कार्ड की असुरक्षा को लेकर सवाल उठना लाजमी है.”

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