Shree Krishna aarti; आरती कुंज बिहारी की’ भगवान श्री कृष्ण की सबसे प्रसिद्ध आरती में से एक है. ये आरती कृष्ण जन्माष्टमी सहित भगवान कृष्ण से संबंधित अन्य शुभ अवसरों पर बहुत धूमधाम से पढ़ी जाती है. ये इतना लोकप्रिय है कि इसे घरों और कृष्ण मंदिरों में नियमित रूप से पढ़ा और सुना जाता है. 

‘बिहारी’ भगवान श्री कृष्ण के हजार नामों में से एक है और ‘कुंज’ वृंदावन के हरे भरे पेड़ों को संदर्भित करता है. कुंज बिहारी का अर्थ है, वृंदावन की हरियाली में विचरण करने वाले परम भगवान श्री कृष्ण. 

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‘आरती कुंजबिहारी की’ के बोल हिंदी में (Aarti Kunj Bihari Ki: Shree Krishna aarti lyrics in Hindi)

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की,

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की,

गले में बैजंती माला,

बजावै मुरली मधुर बाला,

श्रवण में कुण्डल झलकाला,

नंद के आनंद नंदलाला,

गगन सम अंग कांति काली,

राधिका चमक रही आली,

लतन में ठाढ़े बनमाली,

भ्रमर सी अलक,

कस्तूरी तिलक,

चंद्र सी झलक,

ललित छवि श्यामा प्यारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की,

आरती कुंजबिहारी की

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कनकमय मोर मुकुट बिलसै,

देवता दरसन को तरसैं,

गगन सों सुमन रासि बरसै,

बजे मुरचंग,

मधुर मिरदंग,

ग्वालिन संग,

अतुल रति गोप कुमारी की,

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की,

आरती कुंजबिहारी की,

जहां ते प्रकट भई गंगा,

सकल मन हारिणि श्री गंगा,

स्मरन ते होत मोह भंगा,

बसी शिव सीस,

जटा के बीच,

हरै अघ कीच,

चरन छवि श्रीबनवारी की,

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की,

आरती कुंजबिहारी की,

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चमकती उज्ज्वल तट रेनू,

बज रही वृंदावन बेनू,

चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू,

हंसत मृदु मंद,

चांदनी चंद,

कटत भव फंद,

टेर सुन दीन दुखारी की,

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की,

आरती कुंजबिहारी की,

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की,

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की…