Gowri Ganesha festival, Gowri Habba 2022; सुख-समृद्धि और सौभाग्य की कामना लिए महिलाएं आज 30 अगस्त को हरतालिका तीज (Hartalika Teej) का पर्व मना रही हैं. इस दिन व्रत रखने वाली सुहागिन महिलाएं और कुंवारी लड़कियां भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करती हैं. बता दें कि गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) से एक दिन पहले मनाए जाने वाले इस पर्व को दक्षिण भारत में गौरी हब्बा (Gowri Habba) के नाम से मनाया जाता है. गौरी हब्बा विशेष रूप से कर्नाटक (Karnataka), आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) और तमिलनाडु (Tamil Nadu) में विवाहित हिंदू महिलाओं द्वारा मनाया जाता है.

यह भी पढ़ें: Hartalika Teej Songs: हरतालिका तीज पर गाएं जाने वाले भोजपुरी गीत, यहां देखे

गौरी हब्बा भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है. गौरी हब्बा के दिन महिलाएं स्वर्ण गौरी व्रत (Swarn Gouri Vrat) करती हैं. माता गौरी यानी माता पार्वती का आशीर्वाद पाने के लिए महिलाएं व्रत और पूजन करके अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं. ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवी पार्वती कैलाश से पृथ्वी पर अपने माता-पिता के घर आती हैं.

यह भी पढ़ें: Hartalika Teej 2022 Aarti: हरतालिका तीज पर करें ये आरती, भोलेनाथ और मां पार्वती होंगे प्रसन्न

गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले क्यों किया जाता है गौरी पूजन?

गौरी हब्बा (Gauri Habba) का पर्व गणेश महोत्सव से एक दिन पहले मनाया जाता है. मान्यता है कि माता पार्वती इस दिन सुहागिन महिलाओं को जहां पति की लंबी आयु का वरदान देती हैं तो वहीं अविवाहित कन्याओं को इच्छित वर मिलने का वरदान प्रदान करती हैं. चतुर्थी तिथि को माता पार्वती ने अपने शरीर पर लगे मैल से भगवान श्री गणेश का शरीर बनाकर उसमें जान डाली थी. इसलिये गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले माता पार्वती की आराधना का यह पर्व गौरी हब्बा मनाया जाता है.

यह भी पढ़ें: Hartalika Teej Vrat Katha: कैसे मां पार्वती ने भगवान शिव को किया था प्रसन्न? पढ़ें पूरी व्रत कथा

गौरी हब्बा की पूजा विधि

गणेश उत्सव के एक दिन पहले स्वर्ण गौरी व्रत रखने के साथ-साथ माता पार्वती की पूजा की जाती है. इस पूजा में माता पार्वती की पूजा कर अनाज के कुठले (टंकी) पर प्रतिमा की स्थापना की जाती है. फिर आम या केले के पत्तों से इस प्रतिमा के ऊपर पंडाल का बनाया जाता है और माता पार्वती की आराधना की जाती है. ऐसा माना जाता है कि विधि-विधान और सच्ची श्रद्धा से पूजा करने पर वहां भगवान गणेश जी जरुर पधारते हैं और घर में सुख-शांति, धन-धान्य व संपन्नता का वरदान देते हैं.

यह भी पढ़ें: हरतालिका तीज पर किस रंग के कपड़े पहनना होगा मंगलकारी, जानें

पूजा की शुरुआत श्री गणेश के पूजन से की जाती है. भगवान गणेश को सर्वप्रथम स्नान कराएं, वस्त्र, गंध, पुष्प, अक्षत अर्पित करें. अब देवी पार्वती का पूजन शुरू करें. देवी पार्वती की मूर्ति भगवान शिव के बायीं और स्थापित करना चाहिए. मूर्ति में देवी पार्वती का आवाहन करें. अब देवी पार्वती को अपने घर में आसन दें और फिर माता को पहले जल से फिर पंचामृत से और वापिस जल से स्नान कराएं.

यह भी पढ़ें: Sargi time for Teej: हरतालिका तीज व्रत से पहले इस समय तक खा लें सरगी, जानें मुहूर्त

अब देवी पार्वती को वस्त्र अर्पित करें और आभूषण पुष्पमाला आदि पहनाएं. माता गौरी को  सुगंधित इत्र अर्पित करें और उनका तिलक करें. देवी पार्वती को धूप, दीप, फूल और चावल अर्पित करें. इसके बाद घी या तेल का दीपक लगाएं और गौरी माता की आरती करें. आरती के पश्चात् परिक्रमा करें और नेवैद्य अर्पित करें. देवी पार्वती पूजन के दौरन ’’ऊँ गौर्ये नमः’’ या ’’ऊँ पार्वत्यै नमः’’ इस मंत्र का जप करते रहें.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.