धनतेरस (Dhanteras) नाम दो शब्दों से मिलकर बना है- धन और तेरस. धन का अर्थ है धन जबकि तेरस का अर्थ है तेरह. यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन धन की देवी लक्ष्मी (Goddess Lakshmi) की पूजा की जाती है. इस दिन बहुत सारे चीज खरीदने का रिवाज है. आइये जानते हैं इस दिन लक्ष्मी-गणेश को क्यों घर लाया जाता है और पूजा किया जाता है.

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धनतेरस पर क्यों लाए जाते हैं लक्ष्मी-गणेश 

ऐसा कहा जाता है कि सागर मंथन के दौरान धनतेरस के दिन देवी लक्ष्मी समुद्र से निकली थीं. धन के देवता कुबेर भी इसी दिन सागर मंथ से निकले थे और इसलिए धनतेरस के दिन देवी लक्ष्मी के साथ उनकी पूजा की जाती है. और देवी लक्ष्मी और भगवन गणेश का रिश्ता माता और बेटे का है इसलिए धनतेरस पर दोनों को घर लाने की परंपरा है.  

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धनतेरस को यमदीपदा भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन घर के बाहर दीपक जलाकर मृत्यु के देवता के लिए रखा जाता है, ताकि परिवार के किसी सदस्य की असमय मृत्यु को रोका जा सके.

धनतेरस को आयुर्वेद के देवता धन्वंतरि की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है और इसे धन्वंतरि जयंती के रूप में मनाया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत लेकर सागर मंथन के अंत में समुद्र से निकले थे.

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धनतेरस पर लक्ष्मी-गणेश को घर लाया जाता है. ऐसा माना जाता है की लक्ष्मी-गणेश को घर लाने से घर में धन-धान, सुख समृद्दि बनी रहती है. धनतेरस पर, देवी लक्ष्मी के तीन रूपों – देवी महा लक्ष्मी, महा काली और देवी सरस्वती की पूजा की जाती है. भगवान कुबेर और भगवान गणेश की भी पूजा की जाती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)