पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित लाहौर किले में एक बार फिर कट्टरपंथियों ने महाराज रणजीत सिंह की मूर्ति को निशाना बनाया है. महाराजा रणजीत सिंह की मूर्ति को यहां तीसरी बार तोड़ा गया. रिपोर्ट के मुताबिक, कट्टरपंथी समूह तहरीक-ए-लब्बैक (TLP) के सदस्यों ने हमला किया और मूर्ति को खंडित कर दिया. हालांकि, इस घटना के बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपी को हिरासत में ले लिया है.

रणजीत सिंह की मूर्ति का अनावरण दो महीने बाद इस घटना को अंजाम दिया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने इस मामले में दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. ये दोनों आरोपी एक विकलांग और उसके सहायक के रूप में किले में दाखिल हुए थे. पैर की विकलांगता का नाटक करने वाले आरोपी शख्स ने मूर्ति को पहले छड़ी से मारा. जबकि दूसरे व्यक्ति ने इस काम में उसकी मदद की. इस हमले की वजह से मूर्ति का एक हाथ और कुछ अन्य हिस्से टूट गए.

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पुलिस ने बताया कि हमलावरों का मानना ​​था कि मुस्लिम देश में सिख शासक की मूर्ति लगाना उनके धर्म के खिलाफ है. हाथ में तलवार लिए अपने पसंदीदा घोड़े कहार बहार पर बैठे सिख शासक की मूर्ति को पूरा करने में आठ महीने का समय लगा था. प्रतिमा का निर्माण और स्थापना यूके स्थित सिख हेरिटेज फाउंडेशन के सहयोग से वाल्ड सिटी ऑफ लाहौर अथॉरिटी (डब्ल्यूसीएलए) द्वारा की गई थी, जिसने परियोजना को वित्त पोषित किया था.

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गौरतलब है कि, महाराजा की 180वीं पुण्यतिथि को चिह्नित करने के लिए जून 2019 में लाहौर किले में 9 फीट की प्रतिमा का अनावरण किया गया था. सिख साम्राज्य के पहले महाराजा सिंह ने करीब 40 सालों तक पंजाब पर शासन किया. उनकी मृत्यु 1839 में हुई थी. शेर-ए-पंजाब के नाम से लोकप्रिय महाराजा रणजीत सिंह ने 19 वीं शताब्दी के शुरुआती समय में पंजाब क्षेत्र में सिख साम्राज्य पर शासन किया था. रणजीत सिंह की मूर्ति कोल्ड ब्रोंज धातू से बनाई गई है, जिसमें महाराजा रणजीत सिंह हाथ में तलवार लिए सिख पोशाक में घोड़े पर बैठे नजर आ रहे थे.

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