भारतीय रेल में रोजाना 231 लाख लोग यात्रा करते हैं. यात्रियों की सुविधा के अनुसार भारतीय रेल की एक ट्रेन में कई तरह  के डिब्बे होते हैं. आमतौर पर एक ट्रेन में फर्स्ट एसी, सेकंड एसी, थर्ड एसी, स्लीपर क्लास और जनरल क्लास के डिब्बे होते हैं. अब कई लोग सोचते हैं कि ऐसा क्यों होता है आखिर एक ही तरह के डिब्बे क्यों नहीं हो सकते. ऐसा इसलिए होता है ताकी यात्री अपनी-अपनी सुविधा और टिकट खरीदने की क्षमता के अनुसार टिकट खरीद सकें. 

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जनरल क्लास के डिब्बों में सफर नहीं होता आसान 

भारतीय रेल में सबसे सस्ती टिकट जनरल क्लास के डिब्बों की ही होती है और यही कारण है कि इसमें जबरदस्त भीड़ भी होती है और भारतीय रेल में जनरल क्लास के डिब्बे भी बहुत कम संख्या में होते हैं. साथ ही कई बार तो इतनी भीड़ हो जाती है कि यात्री डिब्बे में चढ़ तक नहीं पाते और जल्दबाजी में लोग स्लीपर क्लास में चढ़ जाते हैं. अब ऐसा भी होता है कि भीड़ की वजह से आप गेट पर ही खड़े हैं और ट्रेन के चलने का भी समय हो गया, तो ऐसे में यात्री खाली वाले स्लीपर डिब्बे में बैठ जाते हैं. इसके अलावा भी कई वजहें हो सकती हैं. 

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जनरल की टिकट खरीद के स्लीपर में चढ़ना दंडनीय है  

भारतीय रेलवे भी नियमों के अनुसार चलती है, अगर यात्री एक निचली श्रेणी जैसे जनरल की टिकट लेकर उच्च श्रेणी जैसे स्लीपर में चढ़ जाए तो यात्री को जुर्माना देना पड़ेगा और अगर यात्री जुर्माना नहीं देता है तो उसे जेल भी हो सकती है.

अगर आप उस यात्री की जगह हों जो इस स्थिति में फंस गया है तो तुरंत टीटीई के पास जाएं और उसे बताएं कि आप स्लीपर क्लास में क्यों चढ़े हैं. अगर टीटीई को लगा कि आप की वजह सही है तो वह आपसे जुर्माना नहीं भी ले सकता है. लेकिन टीटीई से सम्पर्क करने के बाद आपको अगले ही स्टेशन पर फिर से जनरल क्लास के डिब्बे में ही लौटना होगा. अगर आपको जनरल डिब्बे में नहीं जाना तो आप टीटीई से स्लीपर क्लास की भी टिकट ले सकते हैं.

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सब कुछ टीटीई पर ही निर्भर है

इस बात को जान लें कि कोई भी यात्री जनरल क्लास की टिकट लेकर स्लीपर क्लास में सफर नहीं कर सकता. स्लीपर में चढ़ने के तुरंत बाद टीटीई को अपनी मजबूरी बताएं. अगर आप टीटीई को बिना बताए सफर करते हैं तो आपको जुर्माना भरना ही पड़ेगा. अब सभी इंसानो का स्वभाव एक जैसा नहीं होता, कुछ दयालु होते हैं और कुछ नहीं. ऐसे में आपकी किस्मत के ऊपर है कि आपका पाला किस किस्म के टीटीई से पड़ा है. अगर उसका स्वभाव नम्र हुआ तो आपको बिना जुर्माने के छोड़ भी सकता है, नहीं तो आपको जुर्माना भरना ही पड़ेगा . 

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