हाल ही में 5 राज्यों में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस कार्यसमिति की रविवार को को हुई बैठक में सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने इस्तीफे की पेशकश की, जिसे सभी ने रिजेक्ट कर दिया. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सीडब्ल्यूसी बैठक में सभी नेताओं की बात सुनी और कहा कि वह पार्टी को मजबूत करने के लिए सभी जरूरी बदलाव करने की इच्छुक हैं. वहीं, सोनिया गांधी के इस्तीफे की पेशकश के बाद कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, अजय माकन और आनंद शर्मा के तेवर नरम पड़ गए और कहा कि हमारी सलाह पार्टी के भले के लिए, हमको विरोधी या दुश्मन न समझा जाए. बता दें कि कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक लगभग 4 घंटों तक चली.

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अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि सीडब्ल्यूसी ने सर्वसम्मति से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में विश्वास जताया. साथ ही यह भी कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष संगठन को फिर से मजबूत करने के लिए तत्काल आधार पर सुधारात्मक उपाय लागू करेंगी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी जल्द ही चिंतन शिविर बुलाएगी. वहीं, सूत्रों के अनुसार राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सीडब्ल्यूसी में सुझाव दिया कि कांग्रेस उनके राज्य में ‘चिंतन शिविर’ आयोजित करें.

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इसके अलावा कांग्रेस ने कहा कि पार्टी साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव समेत आगामी चुनावों में आने वाली चुनावी चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है. सीडब्ल्यूसी ने सर्वसम्मति से सोनिया गांधी के नेतृत्व में अपने विश्वास की पुष्टि की और उनसे सामने से नेतृत्व करने का अनुरोध किया. सीडब्ल्यूसी ने चर्चा की कि विधानसभा चुनाव में क्या गलत हुआ. बैठक में गुलाम नबी आजाद, दिग्विजय सिंह समेत वरिष्ठ नेताओं ने अपने-अपने सुझाव भी दिए.

सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल गांधी ने कहा कि पार्टी को राज्यवार रणनीति बनानी होगी. कहीं अकेले तो कहीं गठजोड़ करना होगा. वहीं, प्रियंका गांधी ने कहा कि हमको मालूम था कि नतीजे हमारे हक में नहीं होंगे, लेकिन मेहनत की और लड़ाई लड़ी. बैठक के दौरान पांचों चुनावी हार वाले राज्यों के प्रभारियों ने रिपोर्ट दी. बैठक में जीत G21 के नेताओं के तेवर ढीले रहे. पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह इस बैठक में शामिल नहीं हुए. वहीं, वरिष्ठ नेता एके एंटनी कोविड-19 से संक्रमित होने की वजह से बैठक में शामिल नहीं हो सके.

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