अक्षय तृतीया के मौके पर चार धाम यात्रा की शुरू की जा रही है. उत्तराखंड के उच्च गढ़वाल ​क्षेत्र में स्थित प्रसिद्ध गंगोत्री और यमुनोत्री धामों के कपाट अक्षय तृतीया के मौके पर मंगलवार को छह माह बाद श्रद्धालुओं के लिए फिर से खोले जाने के साथ ही इस साल की चारधाम यात्रा का आरंभ हो जाएगा. पिछले दो साल से कोविड महामारी के कारण बाधित रही चारधाम यात्रा में रिकार्ड श्रद्धालुओं के आने की संभावना के मद्देनजर राज्य सरकार ने जहां प्रत्येक धाम में प्रतिदिन दर्शन करने के लिए तीर्थयात्रियों की संख्या निर्धारित कर दी है वहीं इसका निर्विघ्न संचालन सुनिश्चित करने के लिए पुलिस ने भी सत्यापन अभियान चलाकर करीब ढाई हजार संदिग्धों की पहचान कर उनमें से 10 को गिरफ्तार किया है.

य़ह भी पढ़ेंः उत्तराखंड का अनोखा गांव, जहां मक्के से सजाया जाता है हर एक घर, कारण रोचक है

मंदिर समितियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, उत्तरकाशी जिले में स्थित गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट मंगलवार को क्रमश: पूर्वाहन 11:15 और अपराह्न 12:15 पर खोले जाएंगे.

बदरीनाथ और केदारनाथ मंदिर समिति के प्रवक्ता डा हरीश गौड़ ने बताया कि रूद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ मंदिर के कपाट छह मई को प्रात: 06:15 पर खुलेंगे जबकि चमोली जिले में बदरीनाथ धाम के कपाट आठ मई को सुबह 06:25 मिनट पर खोले जाएंगे.

यह भी पढ़ेंः Eid-ul-Fitr 2022:3 मई को मनाई जाएगी ईद, जानें इस दिन से जुड़ी 7 बातें

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य में चारधाम यात्रा को लेकर पूरी तैयारियां कर ली गयी हैं. उन्होंने कहा, ‘ इस वर्ष चारधाम में लाखों श्रद्धालु आएंगे जिन्हें बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार ने पूरे इंतजाम किये हैं.’ इस बीच, चारधामों के लिए पर्यटन विभाग के आनलाइन पोर्टल पर पंजीकरण के लिए उमड़ रही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के मद्देनजर राज्य सरकार ने धामों में प्रतिदिन दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की अधिकतम संख्या तय कर दी है.

प्रदेश के संस्कृति और धर्मस्व सचिव हरिचंद्र सेमवाल द्वारा इस संबंध में जारी एक आदेश के अनुसार, बदरीनाथ में प्रतिदिन अधिकतम 15000 श्रद्धालु, केदारनाथ में 12000, गंगोत्री में 7000 और यमुनोत्री में 4000 तीर्थयात्री दर्शन कर सकेंगे.

यह भी पढ़ेंः दिल्ली में कोरोना संक्रमण के ताजा आंकड़ें देखें, राहत वाली खबर

उन्होंने बताया कि श्रद्धालुओं के परिवहन, ठहरने, भोजन, पार्किंग, प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों एवं मंदिर में दर्शन की क्षमता तथा मंदिर परिसर की क्षमता को देखते हुए, यह निर्णय किया गया है . उन्होंने बताया कि फिलहाल यह व्यवस्था शुरूआती 45 दिनों के लिए बनाई गयी है.