दुनिया में एक ऐसा आइलैंड (Island) है जहां के लोग बड़ी ही दुर्लभ बीमारी की चपेट में हैं. यहां के 10 प्रतिशत लोगों की दुनिया ब्लैक एंड व्हाइट (Black & White) बनकर रह गई है. चलिए जानते हैं कि कैसे ये लोग इस दुर्लभ बीमारी के शिकार हुए.

दरअसल, सन 1775 में प्रशांत महासागर (Pacific
Ocean) में ओशिआनिया क्षेत्र के माइक्रोनेशिया देश के पिंगेलैप (Pingelap) आइलैंड में एक तूफान आया था. बता दें कि ये देश ऑस्ट्रेलिया के नजदीक है. जानकारी
के अनुसार, इस भयानक तूफान में मात्र 20 लोग ही जीवित बच पाए थे. जिनमें से एक वहां का राजा था. माना जाता है कि तब से  इस इलाके की
जनसंख्या का एक हिस्सा कलर ब्लाइंड (Colorblind) हो गया है. 

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कलर ब्लाइंडनेस (Color blindness) एक ऐसी बीमारी है
जिसमे या तो रंग नहीं दिखते या फिर कुछ रंगों को देखने में परेशानी होती
है. नेशनल आई इंस्टीट्यूट (National Eye Institute) की मानें तो,
उत्तरी
यूरोपीय वंश के करीब 8 प्रतिशत पुरुषों और 0.5 प्रतिशत महिलाओं में हरे-लाल रंग का
अंधापन पाया जाता है. हालांकि, पिंगेलैप आइलैंड की लगभग 10 प्रतिशत
जनसंख्या एक दुर्लभ समस्या से जूझ रही है. यह मेडिकल कंडिशन पूर्ण अक्रोमैटोप्सिया (Complete
Achromatopsia) या टोटल कलर ब्लाइंडनेस (Total Color Blindness)  कहलाती है.

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इस कंडिशन में लोगों को रंग नहीं दिखाई पड़ते
हैं. रंगों को समझने वाले कोन शंकुओं के उपस्थित न होने के कारण वे सिर्फ काला,
सफेद
और ग्रे रंग ही देख सकते हैं. इसके साथ-साथ, अक्रोमैटोप्सिया
वाले लोग रोशनी के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं, उनका विज़न भी शार्प
नहीं होता. साथ ही उनकी आंखों में अन्य समस्याओं के होने का भी खतरा बढ़ जाता है.

आखिर पिंगलैप के लोग कैसे हुए इस समस्या का
शिकार?

पिंगेलैप की आबादी पहले से ही काफी कम थी, लेकिन 1775 में आए तूफान में 19 लोग और
उनके राजा को छोड़कर बाकी सभी लोग बह गए थे. अनुमान है कि राजा के पास एक रिसेसिव
जीन था, जिसकी वजह से वहां की यह स्थिति बनी थी..

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अमेरिकन जर्नल ऑफ ह्यूमन जेनेटिक्स ( American Journal of Human Genetics ) में
प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि लेंगकीकी तूफान में दो भाई बचे थे. सेमेनुह्वे
के एक बच्चा था, जबकि
मवाहुले के तीन पत्नियों से सात बच्चे थे, जिनमें से एक ने अपनी कज़िन बहन यानी सेमेनुह्वे की बेटी से शादी कर
ली थी. हो सकता है कि तूफान आने के पहले ये जीन मौजूद रहा हो, लेकिन तब यह दुर्लभ रहा हो. लेकिन जीन
म्यूटेशन होने के कारण ये आगे बढ़ गया.

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आइलैंड पर मौजूद कम लोगों के बीच में काफी
प्रजनन हुआ और जीन पूरी आबादी में फैल गया. ऐसा माना जाता है कि यह जीन दुनिया भर
में 30,000 लोगों में से 1 को प्रभावित करता है, लेकिन पिंगलैप की आबादी के 10 प्रतिशत
लोग इसकी चपेट में हैं.