पूरी दुनिया में मंदी के संकेत दिख रहे हैं. वहीं, कच्चे तेल के दामों में गिरावट लगातार जारी है. हालांकि, कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमतों के गिरने के बाद भी भारत में पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) की कीमतों को कम नहीं किया गया है. बाजार में कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे आ गया है. लेकिन तेल कंपनियों ने कीमतों में गिरावट नहीं की है. सरकार ने भी तेल कंपनियों को कोई आदेश नहीं दिया है. ऐसे में भारत के लोगों को कब राहत मिलेगी ये बड़ा सवाल है. क्योंकि, कच्चे तेल की कीमत बढ़ने पर फौरन पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ा दिये जाते हैं.

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बिजनेस टूडे की रिपोर्ट के मुताबिक, कच्चे तेल की कीमत करीब तीन महीने के निचले स्तर पर पहुंच चुका है. ऐसे में देश में पेट्रोल-डीजल के सस्ता होन की उम्मीद बढ़ गई है. 7 जुलाई को भी शुरुआती कारोबार में तेल की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है. इसका कारण है कि संभावित वैश्विक मंदी की आशंका के बीच तेल की मांग को लेकर चिंता बढ़ गई है. ब्रेंट क्रूड LCOc1 वायदा 71 सेंट गिरकर 99.98 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया. WTI क्रूड CLc1 वायदा 62 सेंट टूटकर 97.91 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है.

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बता दें, रूस और यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से कच्चे तेल की कीमतों में बड़ी तेजी दिखी थी. इस दौरान कच्चे तेल की कीमत साल 2008 के अपने उच्च स्तर को छूते हुए 139 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थी. हालांकि, इसके बाद इसकी कीमत में कमी आई और अब फिर से क्रूड 100 डॉलर प्रति बैरल के नीचे आ गया है.

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तेल की कीमत बढ़ी थी तो भारत में तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की गई थी. अब कच्चे तेल की कीमत में भारी गिरावट है तो पेट्रोल डीजल के दाम में कमी की बढ़ी संभावना दिख रही है. भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमत कच्चे तेल के दामों पर ही निर्भर करता है. बता दें, भारत कच्चे तेल का बड़ा आयातक (Importer) है और अपनी जरूरत का 85 फीसदी से ज्यादा कच्चा तेल बाहर से खरीदता है.

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कच्चे तेल की कीमत अमेरिकी डॉलर में चुकानी होती है जिससे भारत में घरेलू स्तर पर पेट्रोल-डीजल के दाम प्रभावित होते हैं. जिस वक्त कच्चे तेल का दाम बढ़ता है तो घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल की कीमत ज्यादा वसूली जाती है. अब कच्चे तेल की कीमत कम हुई है तो घरेलू बाजार में इसकी कीमत कम होने की संभावना है.