आपक इनकम यानी आमदनी पर केंद्र सरकार टैक्स वसूलती है इसे ही इनकम टैक्स (Income Tax) कहते हैं. साल में एक बार आपको एक आईटीआर फॉर्म में सरकार को आमदनी, खर्च, निवेश और टैक्स देनदारी के बारे में बताना होता है इसे आयकर रिटर्न (इनकम टैक्स रिटर्न) कहते हैं. देश के कानून के हिसाब से आयकर रिटर्न हर व्यवसाय या व्यक्ति को भरना चाहिए. आयकर रिटर्न (ITR) भरने का मतलब सरकार को टैक्स चुकाना नहीं है.

ITR भरने का काम शुरू हो गया है. सरकार ने टैक्स रिटर्न भरने वालों को सुविधा देते हुए इसकी आखिरी तारीख को बढ़ा दिया है. अब ये 31 दिसंबर 2021 कर दिया गया है. कुछ लोग रिटर्न फाइल कर रहे हैं. लेकिन कुछ लोगों का सोचना है कि जब उनका इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आता है तो उन्हें ITR फाइल करने की जरूरत नहीं है.

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सरकार का नियम कहता है कि आप टैक्स के दायरे से बाहर हैं तब भी रिटर्न फाइल करने की जरूरत होती है. विशेषज्ञों का मानना है कि इससे आपको फायदा ही होगा और इससे किसी तरह का घाटा नहीं होगा. अगर आप कांट्रेक्ट पर कंसल्टिंग आदि का काम कर रहे हैं, कोई बड़ी रकम की एफडी करा रखी है, कहीं से आपको ब्याज मिलता है जिस पर टीडीएस कटता है तो आपको रिटर्न जरूर फाइल करनी चाहिए.

आपको बता दें, अगर आपकी सैलरी से टीडीएस कट रहा है और आपकी इनकम टैक्स के अंदर नहीं आती है तो आपको ITR फाइल करना चाहिए. अगर आप ITR फाइल करेंगे तो आपको TDS का कटा हुआ पैसा रिफंड हो जाएगा. आपको टीडीएस रिफंड पर ब्याज भी मिलता है.

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रिटर्न फाइल करने के और भी कई फायदे हैं. जैसे कहीं वीजा लेना है, होम लोन, प्रॉपर्टी. क्रेडिट कार्ड, विदेश में नौकरी या पढ़ाई के लिए रिटर्न की कॉपी दिखाना जरूरी होता है.

आपको बता दें, अगर एक लाख से ज्यादा बिजली का बिल चुकाया है तो उस स्थिति में भी आईटीआर फाइल करना जरूरी है. अगर कोई व्यक्ति 60 साल की कम उम्र का है तो उसकी बेसिक इकजेम्पशन लिमिट 2.5 लाख रुपये है. 60 से लेकर 80 की उम्र के लिए बेसिक इक्जेम्पशन लिमिट 3 लाख रुपये है. अगर उम्र 80 साल से ऊपर है तो बेसिक इक्जेम्पशन लिमिट 5 लाख रुपये है. अगर कोई व्यक्ति इस कमाई को पार करता है तो उसे रिटर्न भरना अनिवार्य है.

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