आज के दौर में पैसों की बचत सभी करते हैं. इसके लिए लोग सबसे पहले अपना एक सेविंग अकाउंट जरूर रखते हैं. क्योंकि, बैक के सेविंग अकाउंट पर भी सालाना ब्याज मिलता है. हालांकि, ये ब्याज दर अलग-अलग बैंकों की अलग-अलग होती है. वैसे तो सेविंग अकाउंट में जमा की जाने वाली राशि की कोई सीमा नहीं होती है, लेकिन क्या आपको इस बात की जानाकारी है कि एक वित्तीय वर्ष में आप सेविंग अकाउंट में कितना पैसा डाल या निकाल सकते हैं, जिससे आपके पैसे पर टैक्स न लगे?

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कुछ खातों पर इनकमटैक्स विभाग रखता है खास नजर

टैक्स नियमों के तहत बैकिंग कंपनियों को चालू वित्त वर्ष के दौरान इनकम टैक्स विभाग को उन अकाउंट की जानकारी देनी होती है जिसमें एक साल के दौरान नियमित आधार पर 10 लाख रुपये या उससे अधिक जमा या निकाले गए हो. यह लिमिट टैक्स पेयर्स के एक या एक से अधिक खातों में वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये या उससे अधिक की नकद जमा के लिए समग्र रूप से देखी जाती है.

करंट अकाउंट में यह सीमा 50 लाख रुपये और उससे अधिक है. हांलाकि लेनदेन के अलावा, कुछ अन्य लेनदेने भी है जिनके बारे में आपको जानकारी होना आवश्यक है. एक व्यक्ति को खातें से किए जाने वाले आय व्यय को लेकर इनकम टैक्स के नियम 114E के बारे में जानकारी होनी चाहिए. जिससे वह एक वित्तीय वर्ष में अपने सेविंग अकाउंट से उतना ही पैसा निकाले या जमा करे जिससे वो आयकर की रडार में ना आए.

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प्रत्येक बैंकिंग कंपनी या सहकारी बैंक जो बैंक खाता की सुविधा प्रदान करते है उन पर बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 लागू होता है. उन्हें बैंक खातों से जुड़े निम्नलिखित लेनदेन की रिपोर्ट देना आवश्यक रहता है. ऐसे एक या दो खाते को छोड़कर जिसमें एक वित्तीय वर्ष में दस लाख रुपये या उससे ज्यादा की राशि जमा की जाती है.

क्रेडिट कार्ड जारी करने वाली बैंकिंग कंपनी या एक सहकारी बैंक जिसे बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 लागू होता है या अन्य किसी कंपनी या संस्था को निम्नलिखित लेनदेन की रिपोर्ट करनी होती है.

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विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम 1999 की धारा 2 के खंड (ग) में निर्दिष्ट एक अधिकृत व्यक्ति को विदेशी की बिक्री के लिए वित्तीय वर्ष में दस लाख या उससे अधिक की राशि के किसी भी व्यक्ति से प्राप्तियों की रिपोर्ट करने की आवश्यकता है.

म्यूचुअल फंड के ट्रस्टी या अन्य व्यक्ति जो म्यूचुअल फंड के मामलों का प्रबंधन करते है उन्हें म्यूचुअल फंड की एक या एक से अधिक योजनाओं की इकाइंयां प्राप्त करने के लिए वित्तीय वर्ष में दस लाख या उससे अधिक की राशि के किसी भी व्यक्ति से रसीद की रिपोर्ट करना जरूरी है.

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