सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया जो लगातार घाटे में चल रही थी. अब ये टाटा ग्रुप (Tata Group) के पास चली गई है. टाटा ग्रुप ने 18,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई जो इसके लिए सबसे बड़ी बोली थी. अब टाटा ग्रुप 68 साल बाद एपक बार फिर इसका मालिक होगा. यानी टाटा को एक बार फिर एयर इंडिया वापिस मिल गया है. पिछले हफ्ते से ही चर्चा थी कि एयर इंडिया के लिए सबसे मजबूत नाम टाटा ग्रुप का है.

मंत्रियों के एक पैनल ने एयरलाइन के अधिग्रहण के प्रस्ताव में टाटा ग्रुप को सबसे मजबूत मानते हुए एयर इंडिया ग्रुप को देने की वकालत की थी.

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दीपम सचिव तुहीन कांता पांडे ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इसके ऐलान किया. टाटा सन्स की एयर इंडिया और इसके दूसरे वेंचर एयर इंडिया एक्सप्रेस में 100 फीसदी हिस्सेदारी होगी, जबकि ग्राउंड-हैंडलिंग कंपनी एयर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में भी 50 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी.

निवेश एवं लोक संपत्ति एवं प्रबंधन विभाग सचिव ने बताया कि टाटा की 18,000 करोड़ रुपये की सफल बोली में 15,300 करोड़ रुपये का कर्ज लेना और बाकी नकद भुगतान शामिल है.

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एयर इंडिया को खरीदने वाले टाटा ग्रुप को घरेलू हवाई अड्डों पर 4,400 घरेलू और 1,800 अंतरराष्ट्रीय लैंडिंग और पार्किंग अलोकेशन का कंट्रोल दिया जाएगा. कंपनी को एयर इंडिया की सस्ती एविएशन सर्विस एयर इंडिया एक्सप्रेस का भी सौ प्रतिशत कंट्रोल मिलेगा.

आपको बता दें, साल 1932 में उद्योगपति JRD Tata ने टाटा एयरलाइंस की स्थापना की थी. ब्रिटेन की शाही रॉयल एयर फोर्स के पायलट होमी भरूचा टाटा एयरलाइंस के पहले पायलट थे जबकि JRD Tata दूसरे पायलट थे. जेआरडी टाटा ने कराची से बंबई की उड़ान भरी थी. 15 अक्टूबर 1932 को इस उड़ान के दौरान उनके जहाज में डाक थी. बंबई से इस जहाज को नेविल विसें चेन्नई ट ले गए थे.

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