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2 years ago .New Delhi, Delhi, India

Chana Farming: चने की खेती से होगा बंपर मुनाफा, जानें कैसे करें

  • चने की खेती करके कम समय में अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है
  • चने की खेती के लिए जमीन की तैयारी अच्छी होनी चाहिए
  • इसके साथ-साथ चने की खेती मिट्टी की गुणवत्ता पर भी निर्भर करती है

Written by:Ashis
Published: October 28, 2022 09:44:15 New Delhi, Delhi, India

किसानों के लिए चने की खेती अच्छा लाभ कमाने के लिए एक अच्छा विकल्प साबित हो सकती है. कम समय में वैज्ञानिक तरीके से इसकी उन्नत नस्ल की खेती करके शानदार लाभ अर्जित किया जा सकता है. आपको बता दें कि यह रबी मौसम की मुख्य फसल है. चना एक सबसे महत्वपूर्ण दलहनी फसल मानी जाती है. चने की खेती शुष्क और ठंडी जलवायु में की जाती है. देश में अक्टूबर-नवंबर का महीना चने के बीजों की बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है. देश में सबसे अधिक चने की खेती मध्य प्रदेश में की जाती है. चने के पौधे की हरी पत्तियां साग और हरा सूखा दाना सब्जियां बनाने में इस्तेमाल किया जाता है. 

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चने की खेती के लिए उपयुक्त तापमान

किसी भी खेती को करने के लिए उस स्थान का तापमान के बारे में जायजा ले लेना बहुत जरूरी है. क्योंकि खेती में मिलने वाली काफी हद तक सफलता वहां के मौसम पर भी निर्भर करती है. बता दें कि चने के पौधों की अच्छी वृद्धि के लिए 20-30 डिग्री सेल्सियस का तापमान उपयुक्त माना जाता है. चने की फसल आगामी फसलों के लिए मिट्टी में नाइट्रोजन स्थिर करती है, इससे खेत की उर्वरा शक्ति में बढ़ोत्तरी भी होती है. 

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चने की खेती के लिए उपयुक्त भूमि 

वहीं किसी भी खेती के लिए दूसरे प्रमुख फैक्टर की बात करें, तो वह जमीन की स्तिथि पर निर्भर करती है. दरअसल, हर फसल को उसके हिसाब से मिट्टी की और उसकी खास तैयारी की जरूरत होती है, तभी वह अच्छी ग्रोथ कर पाती है. चने की खेती करने के लिए दोमट और बुलई मिट्टी की आवश्यकता होती है. खरीफ फसल की कटाई के बाद खेत में हैरो से गहरी जोताई की जरूरत होती है. इसके बाद आपको एक जोताई मिट्टी पलटने वाले हल और 2 जोताई देसी हल से करने के बाद खेत में पाटा लगाकर समतल करने की जरूरत होती है.

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चने की खेती में सिंचाई अनुपात

खेती में अगर सिंचाई आवश्यकतानुसार न की जाए, तो खेती में अच्छे रिजल्ट्स नहीं मिल पाते हैं. वहीं अगर देखा जाए, तो सामान्यतः चने की खेती असिंचित अवस्था में की जाती है. हालांकि आपको बता दें कि चने की फसल के लिए कम जल की आवश्यकता होती है. किसान पहली सिंचाई पौधे से फूल आने के पूर्व मतलब बीज बुवाई के 20-30 दिन बाद और दूसरी सिंचाई दाना भरने की अवस्था यानी 50-60 दिनों के बाद कर सकते हैं. 

आज के समय में चने का इस्तेमाल लोग अपने रेगुलर खानपान में रोजाना करते हैं. ऐसे में इसके दाम भी हमेशा अच्छे मिलते हैं. इसलिए चने की खेती से कम समय में अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.

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