Akarkara Farming: भारत में औषधीय पौधों की खेती करने वाले किसानों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. औषधीय फसलें (Medicinal Crops) कम मेहनत और कम संसाधन में ही किसानों को बढ़िया मुनाफा दे जाती हैं. अकरकरा इसी तरह का एक औषधीय पौधा है. इसकी खेती में किसान अधिक पैदावार कर सकते है.

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आयुर्वेद में लकवा की बीमारी से जूझ रहे लोगो को शहद के साथ अकरकरा (Akarkara) के बीजों को खाने की सलाह दी जाती है. इसकी खेती करने के लिए नरम और भुरभुरी मिट्टी अधिक फायदेमंद होती है. किसान इस बात का ध्यान रखें जिस भी खेत में अकरकरा की खेती करें वहां जलनिकासी की उचित व्यवस्था हो. जलभराव होने पर पौधे को अधिक नुकसान पहुंच सकता है.

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विशेषज्ञों के मुताबिक, इस पौधे के अंकुरण के लिए 25 डिग्री तक के तापमान की जरूरत होती है. पौधे के सही तरीके से विकास के लिए 15 से 30 डिग्री तक का तापमान उपयुक्त होता है.

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अकरकरा पौधे रोपाई के 6 महीने के अंदर ही खुदाई के लिए तैयार हो जाते है. इसकी पत्तियां पीले रंग की होने पर इन्हें जड़ से उखाड़ना शुरू कर देना चाहिए. इस दौरान जड़ों को काट कर पौधे से अलग करें. अकरकरा के पौधें की खेती के लिए प्रति एकड़ फसल में डेढ़ से दो क्विंटल तक बीज और 8 से 10 क्विंटल तक जड़े प्राप्त होती है.

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जानें कितना होता है मुनाफा

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अकरकरा के जड़ों की कीमत मार्केट में 20 हजार रुपये है और इसके बीच 10 हजार रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बिकते हैं. यदि आप एक एकड़ में 40 से 50 हजार रुपये की लागत से अकरकरा के पौधे की खेती करते हैं. तो आप 2 से 3 लाख तक का मुनाफा हासिल कर सकता है.