History Of Khichdi In Hindi: हर साल जनवरी की 14 तारीख को मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाता है. इस दिन अधिकतर घरों में खिचड़ी बनती है और लोग बड़े चाव से इसका सेवन करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि खिचड़ी का इतिहास कितना पुराना है. अगर नहीं तो आज हम आपको बताने वाले हैं खिचड़ी के इतिहास के बारे में. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक,  14वीं सदी में मोरक्को यात्री इब्नबतूता ने भी इसका जिक्र किया है. 15वीं सदी के रूसी यात्री अफानासी निकितिन ने इसका बारे में बताया है. इसके अलावा अबू फजल की आइन-ए-अकबरी में भी खिचड़ी के बारे में लिखा है. इस तरह से आप इसके इतिहास का अंदाजा लगा सकते हैं.

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खिचड़ी का इतिहास

आपको बता दें कि भारत के सबसे पुराने महाकाव्य ‘महाभारत’ में भी खिचड़ी का इतिहास पढ़ने को मिलता है. इस ग्रंथ के अनुसार, जब पांडव वनवास काट रहे थे. इस दौरान द्रौपदी ने पांडवों के लिए खिचड़ी बनाई थी. इसके साथ-साथ सुदामा और कृष्ण की कहानी में भी खिचड़ी का जिक्र किया गया है. हिंदू संस्कृति में खिचड़ी को खास महत्व दिया गया है. मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी पकाकर खाने और दान देने का महत्व बहुत ज्यादा बढ़ जाता है.

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खिचड़ी का सेवन करने के लाभ

मकर संक्रांति के दिन विशेष तौर पर बनाई जाने वाली खिचड़ी खाने के बहुत सारे स्वास्थ्य लाभ देखने को मिलते हैं. आपको बता दें कि खिचड़ी पोषण से भरपूर होती है, जो पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने का काम करती है. बता दें कि खिचड़ी का सेवन करने से शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकल जाते हैं. इसके साथ साथ इसका सेवन करने से आप कब्ज और अपच जैसी समस्या से भी बचे रहते हैं.  यह शरीर के मेटाबॉलिज्म को दूरूस्त करके डाइजेस्टिव सिस्टम को मजबूत करने का काम करती है. गौरतलब है कि आप अलग अलग चीजों की मदद से खिचड़ी तैयार कर के शरीर को बहुत सारे लाभ पहुंचा सकते हैं और खुद को पूरी तरह से फिट रख सकते हैं.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.