अगस्त त्योहारों  (Festivals) का महीना है. रक्षाबंधन (Rakshabandhan) और श्री कृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami) जैसे प्रमुख त्योहारों के अलावा, उत्तर भारत (North India)  में व्यापक रूप से मनाया जाने वाला एक अन्य
त्योहार ‘गोगा नवमी (Goga Navami)’ या ‘गोगा नौमी’ है. यह भगवान गोगा या नाग देवता की पूजा करने का त्योहार है.

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धार्मिक शास्त्रों के अनुसार गोगा
पंचमी और गोगा नवमी पर जहरवीर गोगा जी की पूजा करने से गोगा जी महाराज सर्पदंश से
हमारी रक्षा करते हैं. गोगा पंचमी के दिन महिलाएं व्रत रखती हैं, गोगा देव
और नाग देवता की पूजा करने से उनका भाग्योदय होता है . इतना ही नहीं गोगा देव उनकी
हर मनोकामना पूरी करते हैं.

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लोगों में प्रचलित मान्यता के कारण
इस दिन गोगा देव और नाग देवता की विशेष पूजा की जाती है. इस दिन पूजा के दौरान
गोगा देव और नाग देवता को दूध अर्पित करना चाहिए. यह व्रत पति और संतान को लंबी
आयु और अच्छा स्वास्थ्य देने वाला माना जाता है और यह व्रत निःसंतान महिलाओं की
खाली गोद को शीघ्र ही संतान सुख से भर देता है.

इस पर्व की कई रस्में पूर्णिमा के
दिन से नौ दिन पहले शुरू हो जाती हैं. चूंकि गोगा नवमी भगवान गोगाजी के सम्मान में
मनाई जाती है, इसलिए इसे बरसात के दिन सांपों की
प्रजातियों की भी पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि गोगाजी के पूजा स्थल से ली
गई मिट्टी को घर के अंदर रखने से सर्पदंश से परिवार के लोग सुरक्षित रहते हैं.

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ऐसे करें गोगदेव की पूजा

गोगा नवमी की सुबह स्नान करके घोड़े
पर सवार गोगा देव की मूर्ति को लेकर घर आएं. कुमकुम, रोली, चावल, फूल, गंगाजल आदि से गोगदेव की पूजा करें.
खीर, चूरमा, पकौड़ी चढ़ाएं और श्रद्धा के साथ गोगा के घोड़े पर चने की दाल चढ़ाएं.
गोगा देव की कथा को भक्ति भाव से सुनें और मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)