यूक्रेन पर परमाणु हथियार से संपन्न और उससे तीन गुना ज्यादा आबादी वाले विश्वशक्ति रूस का हमला जारी है. रूस के सैनिक लगातार यूक्रेन में घुसकर मिसाइल और आधुनिक हथियारों से हमला कर रहे हैं. यूक्रेन की शहरों में तबाही मचा रही टैंक लगातार आगे बढ़ रही है. लेकिन रूस की ताकत के सामने जिस युद्ध को लोग चंद घंटों का समझ रहे थे. वह इतना लंबा चलेगा ये किसी डिफेंस एक्सपर्ट ने नहीं समझा था. जब रूस ने चेरनोबिल पर कब्जा किया तो लगा था कि, चंद घंटों में सेवा कीव पर अपना अधिकार बना लेगी और राष्ट्रपति वोलोदमिर जेलेंस्की देश छोड़कर भाग जाएंगे. इसके बाद रूस यूक्रेन में तख्तापलट कर देगा. लेकिन शायद रूस के इस सपने को पूरा होने में अभी और वक्त लगेगा.

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मौजूदा समय में वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की जिस तरह से अपने देश के लिए रूस के सामने डटे हैं. उसे देखकर पूरी दुनिया उनके जज्बे को सलाम कर रही है. राष्ट्रपति जेलेंस्की ने शायद दुनिया को ये बता दिया है कि, ‘हथियार कितना भी बड़ा हो जज्बे के आगे छोटा ही रहेगा’.

हमलावर रूस से लड़ने के लिए यूक्रेन में राष्ट्रभक्ति की लहर सी चल पड़ी है. राष्ट्रपति जेलेंस्की खुद सेना की वर्दी में हथियार लेकर मैदान में उतर गए हैं. यूक्रेन के उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्री, सांसद, शहरों के मेयर, यूक्रेन के सेलेब्रिटी, मॉड्ल्स, खिलाड़ी सब हथियार लेकर रूसी सैनिकों से लोहा लेने उतर आए हैं. हमलावर के खिलाफ जंग की ऐसी रणनीति और तस्वीर शायद ही कभी दुनिया ने देखी हो.

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हाल ही में अफगानिस्तान में तालिबान के हमले को याद करें तो उस समय राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़ कर निकल गए थे. गनी के देश छोड़ने के फैसले के तुरंत बाद ही तालिबान के कब्जे का रास्ता साफ हो गया था.

जेलेंस्की की युद्ध नीति काफी हैरान कर देनेवाली है. राजधानी कीव समेत तमाम शहरों में रूसी सेना से जंग के लिए सेना के साथ-साथ आम लोगों को भी ऑटोमेटिक राइफलें दी जा रही हैं. लोगों को जंग की ट्रेनिंग दी जा रही है. ट्रेनिंग के बाद लोग शहरों की सीमाओं पर सैनिकों के साथ मोर्चे पर तैनात किए जा रहे हैं.

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चार दिनों की युद्ध में अब रूस खुद को फंसा हुआ महसूस करने लगा है. यही वजह है कि, बेलारूस में रूस वार्ता की टेबल पर आने को तैयार हुआ. लेकिन जेलेंस्की ने इसे यह कहते हुए ठुकरा दिया कि किसी ऐसे देश की जमीन पर वह वार्ता नहीं करेगा जिसने अपनी सीमा से रूस के सैनिकों को यूक्रेन पर हमला करने दिया. हालांकि, बाद में बेलारूस के राष्ट्रपति को यूक्रेन से बात कर अपनी मंशा साफ करनी पड़ी. अब वार्ता का मंच तैयार हुआ है लेकिन देखना यह है कि ये कितना सफल होता है.

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