साल 2022 की शुरुआत के बाद सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) और चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) का सिलसिला भी शुरू हो चूका है. जब सूर्य और पृथ्वी (Earth) के बीच चंद्रमा (Moon) आ जाता है और चंद्रमा की परछाई पृथ्वी पर पड़ती है. तो इसे सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) कहते हैं. ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रहण को महत्वपूर्ण खगोलीय घटना के तौर पर देखा जाता है. मान्यता है कि सूर्य ग्रहण जब भी लगता है. तो इसका प्रभाव देश-दुनिया पर देखने को मिलता है.

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साल 2022 का पहला सूर्य ग्रहण 30 अप्रैल 2022 को रात 12:15 से 04:08 तक प्रभावी रहा. इस ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 52 मिनट की थी. पंचांग के अनुसार ये साल का पहला सूर्य ग्रहण था. जो वैशाख कृष्ण पक्ष की अमावस्या से शुरू हुआ और इसकी समाप्ति होते-होते प्रतिपदा तिथि लग चुकी है.

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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जब ग्रहण भारत में लगता है, तो सूतक लग जाते हैं, जिस दौरान पूजा, खाना या कोई भी शुभ काम करना वर्जित होता है. इस दौरान लोग खाने और पानी में तुलसी के पत्ते भी डालकर रखते हैं. आंशिक सूर्य ग्रहण होने से इसका सूतक काल (Sutak Kaal) मान्‍य नहीं है. लेकिन ज्योतिष के अनुसार ग्रहण के दौरान सूर्य देव पीड़ित हो जाते हैं और पृथ्वी पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है. इस वजह से ग्रहण खत्म होने के बाद इसके अशुभ प्रभाव से बचने के लिए कुछ विशेष उपाय बताए गए हैं. इस लेख में हम आपको बताएंगे कि सूर्य ग्रहण की समाप्ति होने के बाद कौन-कौन से उपाय करने चाहिए.

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करें ये उपाय

सूर्य ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करें और किसी जरूरतमंद को धन,अन्न और वस्त्र का दान करें. ग्रहण के दौरान पहने गए कपड़ों को भी दान कर दें. 

ग्रहण काल में मंत्र जाप और चिंतन के कार्य करने का विधान है. इसलिए ग्रहण खत्म होने के बाद भगवान के दर्शन करना विशेष शुभ फल मिलता है.

ग्रहण खत्म होने के बाद ही गर्भवती महिला को तुरंत स्नान करना चाहिए.

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सूर्य ग्रहण के बाद मंदिर की सफाई करें और भगवान की मूर्तियों को पवित्र गंगाजल से स्नान करवाएं. शमी और तुलसी के पौधे पर गंगाजल छिड़ककर उन्हें शुद्ध कर लेना चाहिए.

सूर्य ग्रहण के खत्म होने के बाद तिल और चने की दाल का दान अवश्य करें.

सूर्य ग्रहण खत्म होने एक बाद दान और श्राद्ध करना कल्याणकारी होता है. साथ ही कुंडली के अनुसार ग्रहण के प्रभाव को दूर करने के उपाय अवश्य करें.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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