अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) को आज (21 जून) विपक्ष ने अपना संयुक्त राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अभी तक जुलाई में होने वाले चुनावों के लिए अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है. 

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कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, “हमने (विपक्षी दलों ने) सर्वसम्मति से फैसला किया है कि यशवंत सिन्हा राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के आम उम्मीदवार होंगे.”  

दिल्ली में विपक्ष की बैठक में एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा, “हम 27 जून को सुबह 11.30 बजे राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने जा रहे हैं.” पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को आगामी राष्ट्रपति चुनावों के लिए संयुक्त विपक्ष की ओर से आम सहमति के उम्मीदवार के रूप में चुना गया है.

कौन हैं यशवंत सिन्हा 

यशवंत सिन्हा 1960 में आईएएस के लिए चुने गए और पूरे भारत में उन्हें 12वां स्थान मिला. आरा और पटना में काम करने के बाद उन्हें संथाल परगना में डिप्टी कमिश्नर के तौर पर तैनात किया गया.

यशवंत सिन्हा ने 2009 का चुनाव जीता, लेकिन 2014 में उन्हें बीजेपी का टिकट नहीं दिया गया. धीरे-धीरे नरेंद्र मोदी से उनकी दूरी बढ़ने लगी और अंतत: 2018 में 21 वर्ष तक बीजेपी में रहने के बाद उन्होंने पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया.

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यशवंत सिन्हा भारतीय जनता पार्टी में न संघ से आए थे और न ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से. 24 साल आईएएस की भूमिका निभाने के बाद वो 1984 में राजनीति में आए. 1990 में वो चंद्रशेखर की सरकार में वित्त मंत्री बने. हालांकि यशवंत सिन्हा ख़ुद इस बात को मानते हैं कि अर्थव्यवस्था में उनकी कोई विशेषज्ञता नहीं थी. सिन्हा ने अपनी किताब ‘कन्फेशन्स ऑफ अ स्वदेशी रिफॉर्मर’ में लिखा है कि उन्होंने केवल 12वीं क्लास में ही अर्थव्यवस्था पढ़ी थी.

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राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 29 जून है, मतदान 18 जुलाई को होगा और वोटों की गिनती 21 जुलाई को होगी. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है.