भारतीय इतिहास के मुगलकाल में मराठाओं ने जो देश के लिए योगदान दिया है उसमें सबसे प्रमुख छत्रपति शिवाजी महाराज (Chatrapati Shivaji Maharaj) का नाम सबसे प्रमुखता से लिया जाता है. आज यानि 19 फरवरी को छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती मनाई जाएगी. महाराष्ट्र के लोग इस दिन को बहुत गर्व के साथ मनाते हैं और कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों, जुलूसों का आयोजन करते हैं. इस वर्ष हम उनकी 392वीं जयंती मना रहे हैं.

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छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती का इतिहास

ऐसा माना जाता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती की शुरुआत महात्मा फुले ने की थी. उन्होंने रायगढ़ में शिवाजी महाराज के मकबरे की पहचान की. बता दें कि यह दिन सबसे पहल पुणे में मनाया गया था. मराठा राजा की जयंती मनाने की परंपरा प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक द्वारा जारी रखी गई थी. इस दिन उनके किए गए कार्यों पर प्रकाश डाला गया था.

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छत्रपति शिवाजी का जीवन

शिवाजी भोंसले महाराज (Chatrapati Shivaji Maharaj) का जन्म 19 फरवरी 1630 में शिवनेरी दुर्ग में हुआ था. उनके पिता शाहजी भोंसले एक शक्तिशाली और प्रभावी सामंत थे. शिवाजी पर उनकी माता जीजाबाई का बहुत प्रभाव था. बता दें कि भारत के सबसे बहादुर शासकों में से एक थे छत्रपति शिवाजी, वे मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे. छत्रपति शिवाजी को महान मराठा शासक माना गया था.

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शुरुआत से ही बनाई अपनी पहचान

आपको शायद यह बात जानकर हैरानी होगी कि 16 साल की उम्र में शिवाजी ने तोरणा किले पर कब्जा किया था और 17 साल की उम्र में रायगढ़ और कोंडाना किलों पर. 1657 में शिवाजी (Chatrapati Shivaji Maharaj) की मुगलों (Mughals) से पहली मुठभेड़ हुई जिसमें उनकी जीत हुई. बता दें कि 1674 में छत्रपति (Chatrapati) बने मुगलों को हराने से लेकर दक्षिण तक में अपना साम्राज्य फैलाया.

छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती के उपलक्ष्य में महाराष्ट्र सरकार विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है. इस साल मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे 18 फरवरी को शहर में छत्रपति शिवाजी महाराज की नई प्रतिमा का अनावरण किया.

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