मुजफ्फरनगर सदर विधानसभा सीट से विधायक बीजेपी के कपिलदेव अग्रवाल ने अपने सियासी सफर का आगाज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की थी. 2002 में बीजेपी की टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे. लेकिन उन्हें तब हार का सामना करना पड़ा था. लेकिन मुजफ्फरनगर सीट से विधानसभा चुनाव में उन्हें दो बार जीत हासिल हुई है.

कपिलदेव अग्रवाल का जन्म 6 जून 1966 को हुआ था. वह वर्तमान में मुजफ्फरनगर सीट से विधायक हैं. उन्होंने दो बार इस सीट से जीत हासिल की है.

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मुजफ्फरनगर सीट पर साल 1974 में कांग्रेस के चितरंजन स्वरूप पहली बार विधायक निर्वाचित हुए थे. चितरंजन स्वरूप 2002 और 2012 में भी सपा के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए थे. वे सपा की सरकार में मंत्री भी रहे. चितरंजन स्वरूप के निधन के बाद हुए 2016 उपचुनाव में सपा ने उनके पुत्र गौरव स्वरूप को उम्मीदवार बनाया लेकिन उन्हें बीजेपी के कपिलदेव अग्रवाल ने हरा दिया था.

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मुजफ्फरनगर सीट से कपिदलदेव अग्रवाल को 2017 में बीजेपी ने एक बार फिर मैदान में उतारा. उस समय में सपा ने गौरव स्वरूप को ही टिकट दिया. लेकिन बीजेपी के कपिलदेव अग्रवाल ने एक बार फिर गौरव स्वरूप को हरा दिया. जबकि बीएसपी के उम्मीदवार राकेश शर्मा तीसरे नंबर पर रहे. अब एक बार फिर कपिलदेव अग्रवाल को ही बीजेपी ने 2022 में मैदान में उतारा है. अगर वह इस सीट को जीतते हैं तो ये उनकी मुजफ्फरनगर सीट पर हैट्रिक जीत होगी.

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58 वर्षीय अग्रवाल ने अपने चुनावी हलफनामे में अपने खिलाफ चार आपराधिक मामले घोषित किए हैं और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, पूर्व में मेरठ विश्वविद्यालय से स्नातक (1985) के रूप में अपनी शैक्षणिक योग्यता सूचीबद्ध की है. उन्होंने ‘विज्ञापन एजेंसी’ को अपना पेशा बताया है. मौजूदा विधायक और मंत्री की कुल संपत्ति 3.1 करोड़ रुपये आंकी गई है, जबकि उन्होंने अपनी कुल देनदारी के रूप में 74.6 लाख रुपये जमा किए हैं. अग्रवाल ने 1.8 करोड़ रुपये की चल संपत्ति और 1.3 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति घोषित की है. उनके हलफनामे में उनकी स्वयं की आय 15.2 लाख रुपये बताई गई है, जबकि उनकी कुल आय 28.4 लाख रुपये बताई गई है.

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