मृगांका सिंह पूर्व बीजेपी नेता हुकूम सिंह की बेटी हैं. हुकुम सिंह कैराना विधानसभा सीट से विधायक थे. जब उनकी मृत्यु हुई तो इस सीट पर 2012 के बाद उपचुनाव हुआ था मृगांका सिंह को उम्मीदवार बनाया गया. लेकिन उस वक्त बीएसपी उम्मीदवार अनवर हसन से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. वहीं, 2017 में भी उन्हें बीजेपी से टिकट मिला लेकिन मृगांका के सामने सपा उम्मीदवार नाहिद हसन की चुनौती थी. लेकिन मृगांका को करीब 21 हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा था.

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वहीं, 2022 विधानसभा चुनाव में एक बार फिर कैराना सीट से मृगांका सिंह को ही टिकट दिया गया है. लेकिन इस बार उनका सामाना राष्ट्रीय लोकदल की प्रत्याशी पूर्व सांसद तबस्सुम हसन से होगा.

मृगांका सिंह हुकुम सिंह की सबसे बड़ी बेटी हैं. उनकी पहचान एक बिजनेसवुमन, समाजसेविका और शित्राविद की है. सक्रिय राजनीति में वो 2014 के बाद आईं. 2014 में हुकुम सिंह कैराना लोकसभा से सांसद हुए तो उन्होंने कैराना विधानसभा से इस्तीफा दे दिया. तब उपचुनाव में मृगांका सिंह का नाम सामने आया और माना गया कि अपनी सीट पर हुकुम सिंह बेटी को चुनाव लड़ाएंगे. हालांकि तब टिकट मृगांका सिंह को नहीं बल्कि हुकुम सिंह के भतीजे अनिल सिंह को मिला लेकिन वो सपा उम्मीदवार से चुनाव हार गए. इसके बाद 2017 में मृगांका सिंह को भाजपा से टिकट मिला और वो पहली चुनाव लड़ीं, हालांकि भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में मजबूत लहर के बावजूद वो सपा के नाहिद हसन के इलेक्शन हार गईं.

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मृगांका सिंह के पास पिता की विरासत को संभालने की जिम्मेदारी है, ये चुनाव ही तय करेगा कि उनकी राजनीतिक भविष्य क्या होगा, वो जीतीं तो आगे की राह बनेगी वहीं हार उनके राजनीतिक करियर के लिए बड़ा झटका साबित हो सकती है.

मृगांका की शादी 1983 में गाजियाबाद के कारोबारी सुनील सिंह से हुई. ससुराल के लोगों के बहुत खुश ना होते हुए भी अपने ससुर के स्कूल को उन्होंने संभाला और फिर इस क्षेत्र में आगे बढ़ती गई. उन्होंने 200 बच्चों के स्कूल को नई उड़ान दी जब सबकुछ बहुत अच्छा चल रहा था तो उनकी जदंगी में एक बड़ा हादसा हुआ. 1999 में उनके पति की एक कार दुर्घटना में मौत हो गई.

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