Speech on Subhash Chandra Bose in Hindi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2021 में पराक्रम दिवस (Parakram Diwas 2023) मनाने की घोषणा की थी. पराक्रम दिवस के मौके पर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. पराक्रम दिवस मनाने के पीछे एक खास वजह है. यह दिन महान स्वतंत्रता सेनानी (Freedom Fighter) नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) से जुड़ा हुआ है. इस दिन नेताजी को नमन किया जाता है और उनके योगदान को याद किया जाता है. स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने जोरदार नारा दिया था. सुभाष चंद्र बोस (Speech on Subhash Chandra Bose in Hindi) युवाओं के लिए सबसे बड़े प्रेरणा स्रोत हैं और उनसे सीखने के लिए बहुत कुछ है. पराक्रम दिवस के इस अवसर पर हम लेकर आए हैं कुछ ऐसे पंक्तियां जिसे आप अपने भाषण में शामिल कर सकते हैं.

यह भी पढ़ें: Subhash Chandra Bose Jayanti 2023 Essay in Hindi: सुभाष चंद्र बोस जयंती पर लिखें ये निबंध, हर कोई करेगा तारीफ

23 जनवरी 1897 का दिन विश्व के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा गया है. आज ही के दिन स्वतंत्रता आंदोलन के महानायक सुभाष चंद्र बोस का जन्म कटक के प्रसिद्ध वकील के यहां हुआ था.

भारत की आजादी में उनके बहुमूल्य योगदान को देखते हुए हर साल 23 जनवरी को उनकी जयंती के रूप में मनाया जाता है.

उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए विदेशों की यात्रा की और यहां तक कि सिविल सेवा में भी काम किया. राष्ट्रवादी विचारधारा के कारण न केवल उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ी, बल्कि दृढ़ निश्चय के साथ अनेक समस्याओं का भी सामना किया.

1937 में, उन्होंने ऑस्ट्रिया में एक पशु चिकित्सक की बेटी एमिली शेंकल से शादी की.

वे 1920-30 के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता थे और वर्ष 1938-39 में इसके अध्यक्ष चुने गए.

यह भी पढ़ें: Subhash Chandra Bose Birthday: जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं नेताजी के यह विचार, भर देंगे जोश

उन्हें अखिल भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष के साथ-साथ बंगाल राज्य कांग्रेस के सचिव के रूप में चुना गया था. वे फॉरवर्ड अखबार के संपादक और कलकत्ता नगर निगम के सीईओ बने.

22 जून 1939 को वे अपने राजनीतिक जीवन में फॉरवर्ड ब्लॉक में शामिल हुए. मुथुरामलिंगा थेवर उनके महान राजनीतिक समर्थक थे. उन्होंने मुंबई में एक विशाल रैली का आयोजन किया.

वह 1941-43 तक बर्लिन में रहे. नेताजी ने अपने प्रसिद्ध नारे “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” के माध्यम से आजाद हिंद फौज का नेतृत्व किया.

6 जुलाई 1944 को, उन्होंने अपने भाषण में महात्मा गांधी को “राष्ट्रपिता” कहा, जिसे सिंगापुर आजाद हिंद फौज ने प्रसारित किया था.