भारत के लगभग इतिहास में कई ऐसे क्रांतिकारी हुए जिन्हें अलग-अलग कारणों से जाना जाता है. किसी ने अंग्रेजों से आजादी के लिए लड़ाई लड़ी तो किसी ने अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाई. मगर ज्योतिराव फुले (Mahatma Jyotirao Phule) एक ऐसे इंसान थे जिन्होंने शिक्षा के अधिकारों की बात की. उन्होंने भारत में शिक्षा को बढ़ावा दिया और समाज सुधारक के तौर पर उन्होंने बहुत से लोगों को शिक्षित भी किया. ज्योतिराव फुले मराठी थे लेकिन उन्हें पूरे भारत में जाना जाता है क्योंकि अगर वो और उनकी वाइफ सावित्री फुले (Savitribai Phule) ना होते तो आज महिलाएं शायद भारत में शिक्षित ना हो पातीं. इसके लिए उन्हें समाज के ही खूब ताने सुनने को मिले लेकिन उनका लक्ष्य एक ही था कि सभी शिक्षित हों. चलिए आपको ज्योतिराव फुले की प्रसिद्धि के बारे में बताते हैं.

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महात्मा ज्योतिराव फुले क्यों प्रसिद्ध थे? (Why was Mahatma Jyotirao Phule famous)

शिक्षा के क्षेत्र में ज्योतिराव फुले का योदगान महत्वपूर्ण रहा. साल 1848 में उन्होंने एक स्कूल खोला था. स्त्री शिक्षा और उनकी दशा सुधारने के क्षेत्र में उनका ये पहला योगदान था लेकिन इसके बाद लड़कियों को पढ़ाने के लिए कोई शिक्षिका नही मिली. इसके बाद उन्होंने मेहनत की और अपनी पत्नी सावित्रिबाई फुले को इस लायक बनाया कि वो महिलाओं को पढ़ा सकें. उनके इस कार्य में कुछ उच्च वर्ग के पितृसत्तात्मक विचारधारवादियों ने अड़चन डालने की कोशिश की लेकिन ज्योबिता रुके नहीं.

लोगों ने ज्योतिबा के पिता पर दबाव डालकर पत्नी सहित घर से निकलवा दिया, इससे उनके कार्य में बाधा आई लेकिन उनका उद्देश्य वही था हर किसी के लिए शिक्षा बराबर होनी चाहिए. ज्योतिराव फुले ने अपनी पत्नी को महिलाओं की शिक्षा के आंदोलन के लिए आगे बढ़ाया और बाद में उन्हें सफलता भी मिली लेकिन ये लड़ाई उनके लिए बहुत सारी मुश्किलों को लेकर आई. समाज के कल्याण के लिए जीवनभर उन्होंने लड़ाई लड़ी जिसमें काफी हद तक उन्हें सफलता भी मिली लेकिन 18 नवंबर, 1890 को पुणे में ज्योतिराव फुले का निधन हो गया था.

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कौन थे महात्मा ज्योतिराव फुले? (Mahatma Jyotiba Phule Biography in Hindi)

11 अप्रैल, 1827 को तात्कालिक ब्रिटिश भारत के खानवाडी (पुणे) में ज्योतिराव गोविंदराव फुले का जन्म हुआ था. उनकी माता चिमनाबाई और पिता गोविंदराव थे. ज्योतिराव जब एक साल के थे तब उनकी माताजी का निधन हो गया था. इसके बाद उनकी परवरिश के लिए उनके पिता ने एक दाई को लगाया. इनका परिवार कई पीढ़ी पहले सतारा मे रहता था जहां इनके बुजुर्गों ने फूलों का काम शुरू किया. इससे गजरा और माला बनाने का काम होता था और इसी तरह उनके परिवार में फुले सरनेजम जुड़ गया. ज्योतिराव फुले को महात्मा ज्योतिबा के नाम से भी जानते हैं.

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