पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का 84 साल की आयु में निधन हो गया. 31 अगस्त को उन्होंने दिल्ली के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली. उन्हें दिल्ली के अस्पताल में 10 अगस्त को भर्ती करवाया गया था. उनका कोविड-19 टेस्ट पॉजिटिव आया था. प्रणब मुखर्जी को 2012 में राष्ट्रपति भवन जाने से पहले कांग्रेस का संकटमोचक कहा जाता था.

प्रणब मुखर्जी हमेशा बंद गले का कोट पहनते थे. उनकी जेब से चेन घड़ी लटकती थी और साथ ही एक कलम भी उसमें लगी होती थी. उन्होंने 1957 में बांग्लादेश में जन्मी सुव्रा से शादी की थी उनकी 2015 में मृत्यु हो गई. पूर्व राष्ट्रपति के दो बेटे और एक बेटी हैं.

पोस्ट एंड टेलीग्राफ विभाग में एक अपर डिविजन क्लर्क से जीवन की शुरुआत

11 दिसबंर, 1935 को पश्चिम बंगाल के मिराती गांव में जन्मे प्रणब ने कोलकाता के पोस्ट एंड टेलीग्राफ विभाग में एक अपर डिविजन क्लर्क के पद से शुरुआत की. इसके साथ ही उन्होंने एक पत्रकार के रूप में भी काम किया, लेकिन जिंदगी ने उनके लिए बड़ा रोल चुन रखा था. वह 1982 में 42 वर्ष की उम्र में भारत के सबसे कम उम्र के वित्तमंत्री बने. उन्होंने तीन महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाले, जिनमें विदेश मंत्रालय, रक्षा और वित्त मंत्रालय शामिल हैं. हालांकि, पीएम पद उनसे दूर ही रहा. इसे लेकर उन्होंने कहा था, जो काफी चर्चा में भी रहा कि, 7 आरसीआर कभी उनकी मंजिल नहीं रही. वैसे 2012 से 2017 तक वह देश के सर्वोच्च पद पर यानी देश के राष्ट्रपति रहे.

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1969 में प्रणब मुखर्जी अपनी प्रतिभा से प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की नजर में आए. इसके बाद उन्होंने पूर्वी मिदनापुर में उप-चुनाव में सफल भागीदारी निभाई. इसके बाद इंदिरा ने उन्हें इसी साल राज्यसभा सदस्य के रूप में नामित करने के लिए चुना. यहां से प्रणब मुखर्जी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. इसके बाद वह इंदिरा गांधी की कैबिनेट के अहम सदस्य बन गए.

राजीव गांधी ने प्रणब मुखर्जी को नहीं किया था मंत्रिमंडल में शामिल

1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 514 सीटों में 404 सीटों पर जीत हासिल करने बाद राजीव गांधी ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया. इस घटना का जिक्र प्रणब मुखर्जी ने अपनी किताब ‘The turbulent years’ में भी किया. उन्होंने लिखा कि जब मुझे मंत्रिमंडल से अपने हटने के बारे में पता चला तो मैं स्तब्ध रह गया और आगबबूला हो गया. मैं ये विश्वास नहीं कर सकता था, लेकिन मैंने अपने आपको संभाला और अपनी पत्नी के साथ बैठकर टीवी पर शपथग्रहण समारोह देखा.

बनाई थी राष्ट्रीय सामजवादी कांग्रेस नाम की पार्टी

फिर उन्हें पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख के रूप में भेजा गया. 1986 में उन्होंने राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस नाम की एक नई पार्टी की स्थापना की. इसके बाद तीन साल बाद और राजीव गांधी से सुलह के चलते वह फिर कांग्रेस में वापस आ गए. 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद पीवी नरसिम्हा राव ने उन्हें भारतीय योजना आयोग का उपाध्यक्ष और बाद केंद्रीय कैबिनेट में भी जगह दी.

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कांग्रेस के हर महत्वपूर्ण फैसले का अहम हिस्सा रहे प्रणब

सोनिया गांधी के राजनीति में प्रवेश करने के पीछे प्रमुख ताकत बनकर वो गांधी परिवार के वफादार बन गए. उस समय वह कांग्रेस के हर महत्वपूर्ण फैसले का अहम हिस्सा रहे. जब 2004 में कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की तो सोनिया गांधी ने पीएम पद के लिए प्रणब मुखर्जी के बजाय मनमोहन सिंह को चुना.

UPA की सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका

प्रणब मुखर्जी के बारे में कहा जाता है कि वह एक राजनीतिक व्यक्ति थे, जो हमेशा राष्ट्रीय हित ऊपर रखते थे. वे अपने विश्वास पर दृढ़ रहते थे. अपने इसी स्वभाव के कारण जरूरत पड़ने पर वह किसी भी विषय पर आम सहमति बनाने में सक्षम थे. यूपीए-I और यूपीए-II के दौरान, मुखर्जी ने सरकार चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. 2012 में राष्ट्रपति भवन जाने से पहले लगभग 50 GoMs का नेतृत्व किया.

प्रणब मुखर्जी की प्रतिभा, उनके स्थापित किए गए आदर्श, काम और उनका व्यवहार ही था, जो भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए ने 2019 में सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानति करने लिए प्रस्तावित किया.