Rajendra Singh Gudha: राजस्थान की राजनीति में एक नाम राजेंद्र सिंह गुढ़ा इन दिनों काफी चर्चाओं में हैं. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी माने जाने वाले राजेंद्र सिंह गुढ़ा अब उनके धुर विरोधी हो गए हैं. हाल ही में मणिपुर में हुए बवाल को लेकर जब राजेद्र सिंह जो खुद राजस्थान में है और अपनी सरकार को गिरेबान में झांक कर देखने का बयान दिया, तो सियासी बवाल बढ़ गया. गहलोत ने गुढ़ा को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया. वहीं, अब Rajendra Singh Gudha सीएम गहलोत के काले चिट्ठे खोलने को तैयार हो गए हैं.

Rajendra Singh Gudha की लाल डायरी क्या है

राजस्थान विधानसभा में 24 जुलाई को राजेंद्र सिंह गुढ़ा एक लाल डायरी के साथ पहुंचे थे. हालांकि, पहले उन्हें विधानसभा में आने से रोका गया. लेकिन जब वह विधानसभा में पहुंचे तो उन्होंने लाल डायरी विधानसभा में पेश करने की मांग की. लेकिन विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने उन्हें ऐसा करने से मना कर दिया. काफी हंगामें के बाद उन्हें मार्शल ने विधानसभा से बाहर कर दिया. इसके बाद राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने मीडिया के सामने रोते हुए आरोप लगाया कि, उन्हें कांग्रेस के नेताओं ने पीटा.

वहीं, राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने लाल डायरी की चर्चा कि और कहा इसमें सीएम गहलोत का काला चिट्ठा है. विधानसभा में उनकी लाल डायरी छिनने की कोशिश की गई और उसे फाड़ दिया गया. लेकिन डायरी का आधा हिस्सा अभी भी उनके पास है. लाल डायरी के बारे में उन्होंने बताया कि, इसमें कांग्रेस ने किस विधायक को कितने में खरीदा और निर्दलीय विधायकों को कितने में खरीदा ये सारा लेखा जोखा उस डायरी में हैं. वह जल्द ही इस डायरी की सारी बातें बताएंगे.

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कौन हैं राजेंद्र सिंह गुढ़ा

राजेंद्र सिंह गुढ़ा साल 2008 में राजनीति में सामने आए जब उन्होंने BSP के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा. इसमें उन्होंने कांग्रेस और बीजेपी के उम्मीदवार को हरा दिया था. तब उनकी राजनीति चमक गई. हालांकि, बाद में बसपा को छोड़ वह कांग्रेस सरकार में शामिल हो गए.वहीं, 2013 में गुढ़ा को कांग्रेस ने उदयपुर वाटी से मैदान में उतारा लेकिव ह चुनाव हार गए. फिर 2018 में कांग्रेस ने उनका टिकट काट दिया. इसके बाद वह फिर से बसपा का दामन थाम लिया.

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2018 में बसपा से उन्हें उदयपुर वाटी से टिकट मिल गया और वह बीजेपी और कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ा. इस त्रिकोणीय मुकाबले में वह फिर सफल रहे और जीत हासिल की. लेकिन चुनाव होने के बाद जब कांग्रेस की सरकार बनी तो राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने फिर बसपा को दगा दे दिया और कांग्रेस में शामिल हो गए. वहीं, गहलोत सरकार ने उन्हें राज्यमंत्री बना दिया. हालांकि, वह ज्यादा इस पद से खुश नहीं थे और उन्होंने सचिन पायलट गुट का साथ देना शुरू कर दिया. सचिन पायलट गुट से नजदीकी गुढ़ा के लिए गहलोत से दूरी बनती चली गई.