Poem on Martyrs Day: एक देशभक्त हमेशा देश की आजादी और सुरक्षा के सामने ढाल बनकर खड़ा रहता है. राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चाहे सीमा पर तैनात अमर जवानों की बात हो या देश के अंदर रह रहे क्रांतिकारियों की कुर्बानी में सबका योगदान बराबर है.

देशभक्तों में जो त्याग और साहस दिखाई देता है उसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती. ऐसे अमर शहीदों की कुर्बानी का कर्ज तो नहीं उतारा जा सकता, लेकिन उनके सम्मान में देशभक्ति की भावना से समाज में जागरुकता फैलाने का प्रयास जरूर किया जा सकता है. भारत की संप्रभुता और स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले सभी अमर सैनिकों और क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि देकर शहीद दिवस मनाया जाता है.  इस मौके पर हम आपके लिए कविता (Poem on Martyrs Day) लेकर आए हैं.

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देश के वीर सपूतों की कविता

हवाओं से बस इतना ही कह देना,
रौशनी होगी चिरागों को जलाए रखना,
लहू देकर जिसकी रक्षा की हमने,
ऐसा तिरंगा हमेशा अपनी आंखों में बसाए रखना.

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वीर जवानों को सलाम कविता

वीर जवानों की गाथाएं तुमको आज सुनाता हूं,
तूफानों में डेट रहे जो उनको शीश झुकाता हूं,
कर्मपथ के वे अनुरागी मैं तो उनका दास हूं,
उनकी ही आजादी में लेता खुलकर सांस हूं,
भारत माता के प्रणय हेतु करता ये अहसास हूं,
गाकर गाथा उन वीरों की मन से मैं मुस्कुराता हूं
वीर जवानों की गाथाएं तुमको आज सुनाता हूं.

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भारत देश पर प्यारी सी कविता

स्वर्ग की गोद में कैसा नरक पसरा हुआ है,
पग-पग छाया आतंक, हर जर्रा खून से लाल हुआ.
कुछ रिश्ते और यतीम हुए कुछ सपने और और कुर्बान,
राहे वतनपरस्ती में फिर वीरों ने जान लुटाई,
अपना था वो किसी का सपना था वो जो वहां शहीद हुआ,
जिसकी मौत पर सारा वतन गमगीन हुआ.
है नमन सब शहीदों को दिल में गूंजती यह पुकार,
अंत हो आतंक का अब ना जाए ये बलिदान बेकार