प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज 71वां जन्मदिन है. पीएम मोदी के जन्मदिन पर आज देशभर में विभिन्न क्षेत्रों में कार्यक्रम का आयोजित किए जा रहे हैं. पीएम मोदी को देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर से शुभकामनाएं भेजी जा रही हैं. गुजरात भाजपा के प्रवक्ता राजुभाई ध्रुव ने इस मौके पर Opoyi से खास बातचीत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में कई दिलचस्प बातें कहीं.

तो चलिए जानते हैं नरेंद्र मोदी ने राजकोट से अपने जीवन का पहला चुनाव क्यों लड़ा?

बात है 2001 कि जब भाजपा के प्रति लोगो की नाराज़गी बढ़ती जा रही थी और गुजरात के महुवा, साबरमती और साबरकांठा में उपचुनाव हार गई और लोगों का भाजपा के प्रति रवैया भी विपरीत सा हो गया. इसलिए जब 2001 में केशुभाई पटेल भाजपा के मुख्यमंत्री थे, तो उन्हें किसी कारण से पार्टी से हटा दिया गया था और फिर नरेंद्रभाई की लोकप्रियता के कारण पार्टी के आदेश से”चेंज ऑड गार्ड” करके मुख्यमंत्री बनाया गया. लेकिन नियमों के अनुसार, नरेंद्रभाई को 6 महीने में उपचुनाव लड़ना था और नरेंद्रभाई के मुख्यमंत्री बनने से पहले वे केंद्रीय संगठन के महासचिव थे और संगठनों पर उनकी अच्छी पकड़ थी और कार्यकर्ताओं के बीच उनकी छाप भी बहुत अच्छी थी. इसलिए गुजरात के विभिन्न स्थानों के कैबिनेट मंत्रियों और विधायकों ने खुद इस्तीफा दे देने की बात की और नरेंद्र भाई के लिए जगह बनाकर उपचुनाव के लिए आमंत्रित किया.

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इस बीच भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और नरेंद्रभाई मोदी पार्टी के काम से राजकोट आए. मैं भी इस समय मौजूद था और इस बीच भाजपा के दिग्गज नेता और राजकोट -2 के विधायक वजुभाई वाला भी वहां मौजूद थे और फिर उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष से बात करते हुए कहा कि अगर पार्टी को कोई आपत्ति नहीं है, तो राजकोट -2 से अगर नरेंद्रभाई चुनाव लड़ते है तो मैं अपनी सीट से इस्तीफा देने को तैयार हूं. इससे अध्यक्ष और नरेंद्रभाई को बहुत अच्छा लगा और साथ ही राजकोट वर्षों से भाजपा का गढ़ रहा है, इसलिए नरेंद्रभाई का मानना था कि पार्टी जहां भी कहेगी मैं लड़ूंगा. इस प्रकार इन सभी बातों को देखते हुए नरेंद्रभाई राजकोट -2 से विधानसभा से लड़े, हालांकि यह उनके जीवन का पहला चुनाव था.

पहले चुनाव के दौरान ये मिला फायदा

नरेंद्रभाई की लोगों में बहुत अधिक चाहना थी और वह संगठन के लिए काम कर रहे थे, इसलिए उनके कार्यकर्ताओं के साथ घनिष्ठ संबंध थे. इसके साथ ही दिग्गज नेता अरविंदभाई मनियार, केशुभाई पटेल, चिमन शुक्ला जैसे वरिष्ठ नेताओं से नरेंद्र भाई मिलने अक्सर आते थे और ये नेता भी नरेंद्र भाई को जिताने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे.

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जब वे आरएसएस के विभागीय प्रचारक थे तब वह राजकोट आते थे और हम लोग मिलते थे. इस प्रकार नरेंद्रभाई का पहले से ही राजकोट के लोगों और कार्यकर्ताओं के साथ एक रिश्ता था. वजूभाई की सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता था इसलिए ज्यादा संघर्ष नहीं करना पड़ा और उस समय कांग्रेस से नागरिक बैंक के अध्यक्ष अश्विनभाई मेहता नरेंद्र भाई के खिलाफ चुनाव लड़ रहे थे. इस चुनाव में नरेंद्रभाई 14,728 वोटों की बढ़त के साथ 45,297 वोटों से जीते थे.

2001 से 2014 गुजरात विकास का मॉडल

राजकोट उपचुनाव जीतने के बाद उन्होंने अहमदाबाद के मणिनगर निर्वाचन क्षेत्र में 2002 का आम चुनाव लड़ा. नरेंद्रभाई का स्पष्ट मानना था कि वह पार्टी के कहे अनुसार लड़ेंगे और उस दिशा में आगे बढ़ेंगे. तब से लेकर जब तक वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे उस दौरान उन्होंने राज्य को विकास का मॉडल बना दिया. अपने कार्यकाल के 12 वर्षों में उन्होंने कई कार्य किए हैं, जिनमें

1. कच्छ का भयानक भूकंप

26 जनवरी, 2001 को भूकंप आया था और कच्छ को धूल में मिला दिया. नतीजा ये हुआ कि रोजगार और जनजीवन बर्बाद गया, लेकिन जब 2001 में नरेंद्रभाई मुख्यमंत्री बने तो सबसे पहले उन्होंने बर्बाद कच्छ का पुनर्निर्माण किया. इसे उद्योगों का केंद्र बनाया. भूकंप के दौरान कच्छ और आज के कच्छ में जमीन आसमान का अंतर है. उद्योग और पर्यटन के क्षेत्र में आज कच्छ की पहचान विदेशों तक है. नरेंद्रभाई के इस काम को सबसे सराहनीय काम माना जाता है.

2. नर्मदा बांध और सबकी परियोजना – गुजरात की जीवन रेखा

“नरेन्द्रभाई ने नर्मदा नदी में सरदार सरोवर बांध की सतह को बढ़ाने और नर्मदा के पानी को राज्य के हर कोने तक पहुंचाने का काम किया है. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने किसानों को कृषि जल उपलब्ध कराने के लिए नहरों का निर्माण भी किया और इसलिए आज लाखों किसान नर्मदा नदी के पानी का लाभ उठा सकते हैं. कुल 1126 किमी लगभग 10,22,589 एकड़ क्षेत्र में सिंचाई करने से सौराष्ट्र के 11 जिलों में लंबाई के चार पाइपलाइन लिंक 115 जलाशयों तक पहुंचे.”

3. मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्रभाई के कार्यकाल के दौरान योजनाएं

ज्योति ग्राम योजना

“2001 से पहले गुजरात के कई मध्यम और छोटे गांवों में बिजली की बहुत बड़ी समस्या थी. कई गांव बिना बिजली के थे. इस समय नरेंद्र भाई मोदी ने बिजली की समस्या को दूर करने के लिए ऐसी योजनाएं जारी की थीं और इन योजनाओं के तहत यह योजना बनाई गई थी कि राज्य के प्रत्येक गांव को 24 घंटे बिजली मिलेगी और किसान सही तरीके से खेती कर सकेंगे. गुजरात में बिजली और पानी की समस्या बात आज अतीत की बात हो चुकी है.”

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किसानों को बिजली की समस्या को हल करने के लिए गुजरात में एक महत्वपूर्ण योजना की घोषणा की गई. सूर्य शक्ति किसान योजना (स्काई योजना) जिसमें एक किसान अपने तरीके से बिजली पैदा और वितरित कर सकता है. इस योजना के तहत किसान को अपने खेत में सोलर पैनल लगाना होगा. सरकार इन सौर पैनलों पर भी सब्सिडी देती है. इन सौर पैनलों की सहायता से उत्पन्न बिजली का उपयोग किसान अपनी आवश्यकता के अनुसार कर सकता है और अतिरिक्त बिजली अन्य बिजली कंपनियों को भी वितरित की जा सकती है. इस योजना की मदद से किसानों की आय में भी वृद्धि हुई है.

गरीब कल्याण योजना

यह योजना आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को पर्याप्त आय और स्वरोजगार पैदा करने के लिए अतिरिक्त उपकरण प्रदान करती है. गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले व्यक्तियों / कारीगरों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए इस योजना की शुरुआत की गई थी. इसमें समाज के कमजोर तबके के लोगों को 79 ट्रेडों में छोटे व्यवसाय करने के लिए जिनको कम वार्षिक पारिवारिक आय होती है जैसे हॉकर, सब्जी विक्रेता, बढ़ई आदि को उनकी आर्थिक आय बढ़ाने के लिए व्यवसाय के लिए आवश्यक उपकरण दिए जाते हैं.

सुजलाम सुफलाम योजना

यह योजना 2004-2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्रभाई द्वारा शुरू की गई थी, जिसके एक भाग के रूप में कई योजनाएं जारी की गईं जो इस प्रकार हैं.

सुजलम सुफलाम फैला नहर

भारोत्तोलन योजनाएं (उत्तर गुजरात के लिए नर्मदा मुख्य नहर)

भर्ती नियामक / बांछड़ा (कच्छ)

पानम उच्च स्तरीय नहर

कडाना उच्च स्तरीय नहर

4. गुजरात वाइब्रेंट समिट के जरिए विश्व मंच पर पहुंचा

वाइब्रेंट समिट आधिकारिक रूप से वर्ष 2003 में शुरू किया गया था, जिसमें नरेंद्र मोदी ने ‘विकास’ का नारा दिया था. तब से कुल 8 शिखर सम्मेलन हुए हैं. इसमें हजारों करोड़ के MOU (समझौता ज्ञापन) और निवेश की घोषणाएं की गईं. गुजरात में विशेषज्ञ इस शिखर सम्मेलन को उद्योग और राजनीति के बीच एक तालमेल के रूप में मानते रहे हैं. इस प्रकार गुजरात विकास के मॉडल को प्रस्तुत करने में वाइब्रेंट समिट की सफलता की भूमिका रही है.वाइब्रेंट समिट का उद्देश्य छोटे और मझोले उद्यमों की मदद करना भी था और यह काफी हद तक सफल भी रहा है. नरेंद्रभाई के वाइब्रेंट समिट के इस विचार के साथ गुजरात ने विश्व मंच पर एक स्थान प्राप्त किया है.

5.सरदार पटेल की दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा बनाई और विश्व स्तर का सम्मान दिया

गुजरात स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी स्मारक भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नेता वल्लभभाई पटेल को समर्पित है. यह सरदार सरोवर बांध के सामने 3.2 किमी दूर नदी में साधु बल्ला पर भरूच के पास स्थित है. इस स्मारक का क्षेत्रफल 20,000 वर्ग मीटर है और यह 12 वर्ग किमी के क्षेत्र को कवर करता है. क्षेत्र एक कृत्रिम झील से घिरा हुआ है. 182 मीटर की ऊंचाई के साथ, जिसमें 157 मीटर की प्रतिमा और 25 मीटर की ऊंचाई वाली पीठ शामिल है, यह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है. प्रतिमा का निर्माण 31 अक्टूबर 2013 को शुरू हुआ और अक्टूबर 2018 के मध्य में पूरा हुआ. सरदार पटेल की 143 वीं जयंती पर 31 अक्टूबर 2018 को भारत के 14 वें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा औपचारिक रूप से इसका उद्घाटन किया गया था. इस प्रतिमा से नरेंद्र भाई ने लौह पुरुष और अखंड भारत के शिल्पकार सरदार पटेल की कृतियों को विश्व मंच पर पहुंचाया.

राजुभाई ध्रुव ने ये भी बताया कि नरेंद्रभाई ने अपने जीवनकाल में कई ऐसे काम किए जिन्हें सिर्फ 1 दिन में नहीं कहा जा सकता. वे अपने कुशल कार्यों और मजबूत मनोबल के कारण 2014 में प्रधानमंत्री पद के दावेदार बन गए. यह निर्णय पार्टी ने देशभर में गुजरात मॉडल को लागू करने और भारत के विकास को सही दिशा में ले जाने के लिए लिया. अपने जीवन के पहले चुनाव से लेकर प्रधानमंत्री के पद तक नरेंद्र भाई कई तरह के संघर्षों से गुजरे. उन्होंने देश के लिए बहुत कुछ किया है.