रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) ने सोमवार को 2,290 करोड़ रुपये के हथियार एवं सैन्य उपकरणों की खरीद को मंजूरी दी, जिसमें चीन और पाकिस्तान से लगी सीमाओं पर तैनात जवानों के लिए अमेरिका से करीब 72,000 सिग सॉअर असॉल्ट राइफलों की खरीद शामिल है.

अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

रक्षा खरीद संबंधी निर्णय लेने वाली रक्षा मंत्रालय की सर्वोच्च इकाई रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की बैठक में इन खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दी गई.

अधिकारियों ने बताया कि डीएसी ने जिन उपकरणों और हथियारों की खरीद को मंजूरी दी है उनमें राइफलों के अलावा वायुसेना एवं नौसेना के लिए करीब 970 करोड़ रुपये में एंटी-एयरफील्ड वेपन (एसएएडब्ल्यू) प्रणाली शामिल हैं.

रक्षा मंत्रालय ने कहा, ‘‘रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई वाली डीएसी ने 2,290 करोड़ रुपये में अनेक हथियार एवं सैन्य उपकरणों की खरीद को मंजूरी दी.’’

अधिकारियों ने बताया कि सेना के अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिकों के लिए सिग सॉअर राइफलों की खरीद 780 करोड़ रुपये में की जाएगी.

सेना अपने जवानों के आधुनिकीकरण के लिए एक बड़े कार्यक्रम को लागू कर रही है जिसके तहत बड़ी संख्या में हल्की मशीन गन, बेटल कार्बाइन और असॉल्ट राइफल खरीदी जा रही हैं. ये सेना के पुराने और अप्रचलित हो चुके हथियारों की जगह लेंगी.

सेना ने अक्टूबर, 2017 में करीब सात लाख राइफल, 44,000 हल्की मशीन गन (एलएमजी) और करीब 44,600 कार्बाइन खरीदने की प्रक्रिया शुरू की थी.

दुनिया की सबसे बड़ी थल सेना, पाकिस्तान और चीन से लगी देश की सीमाओं पर पैदा होती सुरक्षा चुनौतियों पर विचार करते हुए अनेक शस्त्र प्रणालियों की खरीद की प्रक्रिया तेज करने पर जोर दे रही है.

अधिकारियों ने बताया कि डीएसी ने ‘भारत निर्मित खरीद श्रेणी’ में 540 करोड़ रुपये की लागत से ‘स्टेटिक एचएफ ट्रांस-रिसीवर सेट’ की खरीद के लिए भी मंजूरी दी.

एचएफ रेडियो सेट थल सेना तथा वायु सेना की जमीनी इकाइयों के बीच निर्बाध संचार में मददगार होंगे.

सैन्य साजो-सामान की खरीद ऐसे वक्त की जा रही है जब पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ तनाव के हालात बने हुए हैं.