भारत में राष्ट्रपति के चुनाव (President Election) का तरीका अनूठा है और एक तरह से इसे आप सर्वश्रेष्ठ संवैधानिक तरीका कह सकते हैं. राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया में कई देशों की चुनाव (Election) पद्धतियों की अच्छी बातों को चुन-चुन कर शामिल किया गया है. इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कैसे होता है भारत के राष्ट्रपति का चुनाव.

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पहले आसान थी चुनाव प्रक्रिया, फिर कठिन करनी पड़ी

राष्ट्रपति पद का चुनाव भारत का कोई भी नागरिक कितनी बार भी लड़ सकता है. चुनाव लड़ने के लिए नागरिक की कम से कम 35 साल की उम्र होना आवश्यक है. लोकसभा सदस्य होने की पात्रता किसी भी फायदे के पद पर न होने के साथ-साथ उम्मीदवार के पास कम से कम 50 प्रस्तावक, 50 समर्थक विधायक और लोकसभा (Lok Sabha) सदस्य होने की पात्रता होनी चाहिए.

यह संख्या शुरुआत में 2-2 थी. राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए सिर्फ दो नॉमिनेट करने वाले विधायकों और दो अनुमोदक जरूरत होती थी. इस वजह से उस दौर में यह चुनाव लड़ना बहुत सरल था. करीब 20 वर्ष तक इस नियम का दुरुपयोग भी हुआ.

साल 1974 में संविधान संशोधन करके दो-दो विधायकों की अनिवार्यता को खत्म करके यह संख्या 10-10 कर दी गई.इसके बाद 1997 में संशोधन करके इस संख्या को बढ़ाकर 50-50 कर दिया. अब कोई भी व्यक्ति राष्ट्रपति का चुनाव लड़ना चाहता है. तो यह आवश्यक है कि उसे इस चुनाव में शामिल होने वाले कम से कम 100 विधायक (MLA) जानते हों.

चुनाव में कौन-कौन नहीं दे सकता वोट

राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता, जनता इसमें वोट नहीं कर सकती है. इस चुनावी प्रक्रिया में विधान परिषद और राज्यसभा में नामित सदस्य और विधानपार्षद भी शामिल नहीं हो सकते. सिर्फ निर्वाचित लोकसभा सांसद, राज्यसभा सांसद विधायक ही वोट दे सकते हैं.

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यदि किसी राज्य का मुख्यमंत्री विधान परिषद का सदस्य है. तो वह भी राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं डाल सकता है.

राष्ट्रपति चुनाव में एकल हस्तांतरणीय प्रणाली के माध्यम से मतदान होता है. इसका मतलब यह हुआ कि लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा का एक सदस्य एक ही वोट कर सकता है.

यदि किसी राज्य में विधानसभा ही भंग हो गई हो तो

संविधान के अनुच्छेद के 71 (4) के अनुसार, किसी भी स्थिति में राष्ट्रपति पद का चुनाव नहीं रुकेगा. यदि किसी राज्य की विधानसभा भंग है या कई राज्यों में विधानसभा सीटें खाली हैं.तो भी राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव तय समय से ही होंगे.

गोपनीय होता है चुनाव, बैलेट से पड़ते हैं वोट

भारत के सर्वोच्च नागरिक का चुनाव आम चुनावों की तरह गोपनीय के तरीके से होता है. इस चुनाव में बैलेट पेपर का प्रयोग होता है. निर्वाचक अपना वोट किसी को दिखा नहीं सकते. यदि वह ऐसा करते हैं. तो उनका वोट रदद हो जाएगा.

इसके अलावा यदि किसी ने राजनीतिक दल को इस बात की जानकारी मिल जाए तो अगर उसका कोई मेंबर पार्टी की इच्छा के विरुद्ध मतदान कर रहा है.तो दल अपने सदस्य के खिलाफ व्हिप जारी नहीं कर सकते.

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सबसे अधिक वोट मिलने पर भी जीत जरूरी नहीं

जो उम्मीदवार सबसे अधिक वोट पाता है. वह अपनी सीट पर विजेता ऐलान कर दिया जाता है.लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में जीत या हार वोटों की संख्या से नहीं सिर्फ वोटों की वैल्यू से तय होती है. राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार को विधायकों और सांसदों के वोटों के कुल मूल्य का आधा से अधिक हिस्सा प्राप्त करना होता है.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मौजूदा समय में राष्ट्रपति चुनाव के लिए इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्यों या निर्वाचक मंडल के वोटों का वेटेज 1098903 है. राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए कम से कम 5,46,320 वोट मूल्य की जरूरत होगी.

ऐसे पता चलता है सदस्य के वोटों का मूल्य

विधायकों के वोट की वैल्यू: किसी राज्य के विधायक के पास कितने वोट हैं.इस बात की जानकारी के लिए उस राज्य की जनसंख्या को राज्य के विधानसभा सदस्यों की संख्या से भाग दे दिया जाता है. इसके बाद जो नंबर निकलता है,उसे फिर 1000 से भाग दिया जाता है. फिर जो अंक प्राप्त होता है, उसी से राज्य के एक विधायक के वोट का अनुपात निकलता है.

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सांसद के वोट की वैल्यू: सांसदों के मतों का मूल्य जानना थोड़ा सरल है.राज्यसभा सभी विधायकों के वोटों का जो मूल्य आएगा उसे राज्यसभा और लोकसभा सांसदों की कुल संख्या से भाग दिया जाता है. फिर जो अंक प्राप्त होता है. वही एक सांसद के वोट का मूल्य होता है. यदि इस प्रकार से भाग देने पर शेष 0.5 से अधिक बचता हो तो वेटेज में एक का बढ़ोतरी हो जाती है.यानी एक सांसद के वोट की वैल्यू 708 होती है. यानी कुल 776 सांसदों (543 लोकसभा और 233 राज्यसभा) के वोटों की संख्या 549408 है..

1971 की जनसंख्या के आधार पर होती है गणना

आपको बता दें कि संविधान (84वां संशोधन) अधिनियम 2001 के मुताबिक, मौजूद समय में राज्यों की जनसंख्या वर्ष 1971 की जनगणना के आंकड़ों पर आधारित है, जिसमें बदलाव वर्ष 2026 के बाद की जनगणना से प्राप्त आंकड़े प्रकाशित होने के बाद किया जाएगा.

बता दें कि चुनाव आयोग (Election Commission) ने देश में राष्ट्रपति चुनाव (President election in India) को लेकर तारीख का एलान कर दिया है. 18 जुलाई को देश के 15वें राष्ट्रपति के चुनाव के लिए मतदान होगा और 21 जुलाई को देश के नए राष्ट्रपति का पता चल जाएगा.

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