वाराणसी (Varanasi) में सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश की अदालत 12 सितंबर को फैसला करेगी कि क्या पांच हिंदू (Hindu) महिलाओं द्वारा प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) के अंदर पूजा करने के अधिकार की मांग करने वाला मामला पोषणीयता यानी मुकदमा चलने योग्य है या नहीं. इस पुरे मामले पर जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश अपना फैसला सुनाएंगे. फैसले से पहले शहर में धारा-144 लागू कर दी गई है. शहर के चप्पे-चप्पे पर पुलिस फोर्स की तैनाती की गई है. संवेदनशील इलाकों में विशेष बल की तैनाती कि गयी है.

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क्या है मामला?

1991 में वहां के स्थानीय पुजारियों द्वारा जिला अदालत में एक याचिका दायर की गई थी. याचिका में पुजारियों द्वारा मांग की गई थी कि उन्हें ज्ञानवापी मस्जिद क्षेत्र में पूजा करने की अनुमति दी जाए. याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि औरंगजेब के आदेश पर मंदिर के एक हिस्से को गिरा दिया गया और वहां एक मस्जिद का निर्माण किया गया. उन्होंने दावा किया कि मस्जिद परिसर में हिंदू देवताओं की मूर्तियां मौजूद हैं और उन्हें ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पूजा करने की अनुमति दी जाए.

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कोर्ट ने दिया आदेश 

वहीं, इसके बाद वाराणसी के एक वकील विजय शंकर रस्तोगी ने निचली अदालत में याचिका दायर कर ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण अवैध बताया था. साथ ही कोर्ट से मस्जिद का पुरातत्व सर्वेक्षण कराने की मांग की. इसके बाद अप्रैल 2021 में, वाराणसी कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व विभाग को मस्जिद का सर्वेक्षण करने और एक रिपोर्ट तैयार कर के कोर्ट के सामने पेश करने का आदेश दिया.

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लगातार तीन महीने चली सुनवाई

जून के अंतिम सप्ताह से लगातार इस मामले में हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष के वकीलों की ओर से दलीलें पेश की जा रही थीं. सुनवाई पूरी होने के बाद जिला जज ने इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया कि ज्ञानवापी मामले की सुनवाई हो सकती है या नहीं. जिला जज एके विश्वेश अब इस मामले में आज यानि 12 सितंबर को फैसला सुनाएंगे.