Dhirendra Krishna Shastri Family: भारत में हिंदू धर्म के कई ऐसे कथावाचक हुए जिनसे लोग काफी प्रभावित हुए. मगर बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से ना सिर्फ लोग प्रभावित होते हैं बल्कि उनके चमत्कारों का भी व्याख्यान करते हैं. बहुत कम उम्र में उन्होंने धार्मिक क्षेत्र में ऐसी उपलब्धि हासिल की है कि उनसे दोगुनी उम्र के लोग भी उनका पैर छूते हैं.

यह भी पढ़ें: असल में कौन हैं बागेश्वर धाम वाले धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री?

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को हनुमान जी का दूत माना जाता है और बागेश्वर धाम में बालाजी के बाद लोग धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की पूजा करते हैं. अब चलिए आपको उनके परिवार और उनसे जुड़ी कुछ बातें बताते हैं.

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के परिवार में कौन-कौन हैं?

मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के छोटे से गांव गड़ा में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म 4 जुलाई, 1996 को हुआ था. इनके  पिता का नाम राम करपाल गर्ग था और उनकी मां का नाम सरोज गर्ग है.

यह भी पढ़ें: Mauni Amavasya 2023: मौनी अमावस्या पर बन रहा है शुभ संयोग, शनि की बरसेगी कृपा

उनका परिवार बहुत ही समान्य वर्ग का रहा है और पैसे ना होने के कारण उनकी पढ़ाई भी ज्यादा ना हो सकी. 12वीं तक उन्होंने पढ़ाई की है लेकिन उससे पहले 9 साल की उम्र में वे अपने दादाजी भगवान दास के साथ बालाजी सरकार की सेवा करने लगे थे. उनके दादा का नाम भगवान दास गर्ग था जो निर्मोही अखाड़े से जुड़े थे.

यह भी पढ़ें: Mauni Amavasya 2023 Date and Time: कब है मौनी अमावस्या? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपने दादा को गुरू मानते हैं और उनसे ही उन्होंने रामायण और भगवत गीता का अध्यययन सीखा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने 9 साल की उम्र में उन्होंने घर छोड़ दिया और बालाजी सरकार की सेवा शुरू कर दी थी. उनके दादा दरबार लगाते थे और जब धीरेंद्र 12 साल के हुए तो वो दरबार में साधना करने लगे. इस साधना का उनके ऊपर ऐसा असर हुआ कि बालाजी की कृपा से उन्हें कई सिद्धियां प्राप्त हुईं.

ऐसा बताया जाता है कि उन्हीं सिद्धियों से वे लोगों के मन की बात समझ जाते हैं और उसका समाधान उन्हें बालाजी सरकार से मिल जाता है. उनको लेकर कई लोगों की मान्यताएं हैं और जो लोग उन्हें मानते हैं वे उनके ऊपर अंधविश्वास करते हैं.

यह भी पढ़ें: Mauni Amavasya 2023 Date: 21 या 22 जनवरी को कब है मौनी अमावस्या? यहां दूर करें कन्फ्यूजन