सुप्रीम कोर्ट ने CBSE और ICSE की 12वीं की परीक्षा से जुड़ी नीति को मंजूरी दे दी है. वहीं, कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें सभी छात्रों ने लिखित परीक्षा लेने की मांग की थी. इस साल कोरोना की गंभीर स्थिति को देखते हुए CBSE ने 12वीं की परीक्षा रद्द करना का निर्णय लिया है.

पीटीआई के मुताबिक, बोर्ड ने कोर्ट से कहा है कि 3 सालों के औसत के आधार पर 31 जुलाई तक 12वीं के रिजल्ट घोषित कर दिए जाएंगे. वहीं, जो छात्र रिजल्ट से संतुष्ट नहीं होंगे उनके पास फिजिकल परीक्षा देने का विकल्प होगा. इस परीक्षा को 15 अगस्त से 15 सितंबर के बीच आयोजित करने की कोशिश की जाएगी.

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हालांकि, एक याचिकाकर्ता ने दलील में कहा कि जब CLAT और NEET जैसी परीक्षाएं हो रही हैं तो 12वीं की भी परीक्षाएं होनी चाहिए. लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा, 12वीं की परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों की संख्या काफी अधिक है. जबकि, NEET और CLAT प्रतियोगी परीक्षाएं है और उनका आयोजन छात्रों के भविष्य के लिए जरूरी है.

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वहीं, एडमिशन को लेकर भी सवाल उठाते हुए कहा गया कि जुलाई में रिजल्ट घोषित किए जाएंगे तो लिखित परीक्षा भी जुलाई में होनी चाहिए वरना एडमिशन में दिक्कत आएगी. लेकिन कोर्ट ने जुलाई में लिखित परीक्षा की मांग को ठुकरा दिया और दोनों रिजल्ट को एक साथ घोषित करने की मांग पर एटॉर्नी जनरल से जवाब मांगा.

एटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने बताया कि आंतरिक मूल्यांकन के रिजल्ट की पहले घोषणा छात्रों के हित में है. इससे उन्हें एक और विकल्प मिल सकेगा कि वह रिजल्ट सुधारने के लिए लिखित परीक्षा भी दे सकेंगे. वेणुगोपाल ने कहा कि यूजीसी सभी कॉलेजों को निर्देश देगा कि वह एडमिशन तभी शुरू करें, जब फिजिकल परीक्षा का भी परिणाम आ जाए.

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