कोरोना महामारी के बीच ब्लैक फंगस देश के कई राज्यों में पैर पसार रही है. वहीं राजधानी दिल्ली में अब ऐसे सैकड़ों मामलों के इलाज चल रहे हैं. वहीं, ब्लैक फंगस से लड़ने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार के तीन अस्पतालों में ब्लैक फंगस या म्यूकोमाइकोसिस के इलाज के लिए विशेष केंद्र बनाये जाएंगे.

केजरीवाल ने यहां एक बैठक में अधिकारियों और विशेषज्ञों के साथ ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों पर विचार-विमर्श करने के बाद यह घोषणा की.

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उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ब्लैक फंगस बीमारी की रोकथाम और इलाज के लिए बैठक में कुछ अहम निर्णय लिए. ब्लैक फंगस के इलाज के लिए लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल, गुरु तेग बहादुर अस्पताल और राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में केंद्र बनाये जाएंगे.’’

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केजरीवाल ने कहा कि इस बीमारी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं का पर्याप्त मात्रा में प्रबंध किया जाएगा और बीमारी से बचाव के उपायों को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने का निर्णय लिया गया है.

उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, ‘‘हमें इस बीमारी को बढ़ने से भी रोकना है और जिन्हें ये बीमारी हो रही है उन्हें जल्द से जल्द बेहतर इलाज देना है.’’

दिल्ली के अस्पतालों में नोवेल कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान संक्रमण से स्वस्थ हुए कुछ लोगों में ब्लैक फंगस की बीमारी के मामले सामने आये हैं.

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विशेषज्ञों के अनुसार संक्रमितों द्वारा बिना डॉक्टरों की सलाह के घर में स्टेरॉइड का अनावश्यक अधिक इस्तेमाल करने की वजह से इस तरह के मामले आ रहे हैं.

यह फंगल संक्रमण फेफड़ों, साइनस, आंखों और मस्तिष्क को प्रभावित कर सकता है तथा मधुमेह पीड़ितों के लिए घातक हो सकता है.

इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में ईएनटी विशेषज्ञ सुरेश सिंह नारुका के अनुसार मधुमेह, किडनी रोग, यकृत रोग, वृद्धावस्था, हृदय संबंधी व्याधियों आदि के कारण जिन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, उन्हें म्यूकरमाइकोसिस होने का जोखिम अधिक होता है.

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उन्होंने कहा, ‘‘जब ऐसे रोगियों को स्टेरॉइड दिये जाते हैं तो उनकी प्रतिरोधक क्षमता और कम हो जाती है और फंगस का प्रकोप बढ़ जाता है.’’

एम्स में सहायक प्रोफेसर युद्धवीर ने कहा कि म्यूकरमाइकोसिस के इलाज में कारगर दवा एम्फोटेरिसिन-बी सामान्य तरीके से बाजार में उपलब्ध नहीं होती और बहुत कम मात्रा में इसका उत्पादन होता है.

उन्होंने कहा, ‘‘कोविड-19 से पहले दवा का अधिक इस्तेमाल नहीं होता था. अब इसकी मांग बढ़ गयी है जिसकी वजह से इसकी कमी हो गयी है.’’

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