बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर राज कपूर का निधन 2 जून 1988 को दिल्ली के एम्स अस्पताल में हुआ था. उनके निधन से ठीक पहले ही उन्हें सरकार ने दाद साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया था. लेकिन ऐसा कहा जाता है कि, इस सम्मान के लिए जब वह राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे तो वहां के अजीबो गरीब प्रोटोकॉल ने उनकी जान ले ली थी.

दरअसल, साल 1988 में राज कपूर को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित करने के लिए राष्ट्रपति भवन में आमंत्रित किया गया था. इसमें अपने परिवार के साथ राज कपूर राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे. रिपोर्ट के मुताबिक, राज कपूर उस वक्त अस्थमा से पीड़ित थे. इस वजह से ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ राज कपूर राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे. लेकिन उन्हें ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ राष्ट्रपति भवन में जाने से रोक दिया गया.

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रिपोर्ट के अनुसार, राज कपूर समारोह में इस प्रोटोकॉल की वजह से ऑक्सीजन सिलिंडर के बिना ही समारोह में शामिल हुए थे. लेकिन इस वजह से उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ा था.

समारोह के दौरान जब तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटरमण अवार्ड देने वाले थे तो उस वक्त राज कपूर को बेचैनी सी होने लगी थी. जब अवार्ड के लिए उनका नाम पुकारा तो जैसे ही राज कपूर उठे तो वह जमीन पर गिर पड़े. इसके बाद वह चल भी नहीं पा रहे थे. ऐसे में राष्ट्रपति उन्हें सम्मान देने के लिए उनके पास पहुंच गए और उन्हें सम्मानित किया गया.

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इसके तुरंत बाद ही राज कपूर को दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन एक महीने से अधिक समय तक वह सांस की दिक्कतों से जूझते रहे और उनकी मौत हो गई.

ऐसे में राष्ट्रपति भवन के प्रोटोकॉल सुरक्षा संबंधित कारणों पर सवाल उठता है कि जब राज कपूर को सम्मानित करने के लिए राष्ट्रपति प्रोटोकॉल को तोड़ सकता है तो फिर उनके लिए जीवन रक्षक उपकरण की अनुमति क्यों नहीं दी जा सकी?

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