Somvati Amavasya Vrat Katha in Hindi: हिंदू मान्यतानुसार साल में 12 अमावस्या पड़ती हैं लेकिन फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली अमावस्या का विशेष महत्व होता है. इस दिन व्रत रखने वाले व्रत रखते हैं, दान करते हैं और अपने पितरों को जल-तिल देते हैं. ये परंपरा लोग सदियों से निभा रहे हैं और इस दिन भगवान शंकर की पूजा करने का रिवाज है. वहीं कुछ लोग इस दिन भगवान विष्णु की भी अराधना करते हैं. इस साल 20 फरवरी को सोमवती अमावस्या पड़ी है और इस दिन पूजा के साथ कथा भी करनी चाहिए. सोमवती अमावस्या की कथा क्या है और इस दिन का क्या महत्व है चलिए आपको बताते हैं.

यह भी पढ़ें: Somvati Amavasya 2023: अमावस्या के दिन सिंदूर लगाना चाहिए या नहीं? जानें

सोमवती अमावस्या की कथा क्या है (Somvati Amavasya Katha in Hindi)

धार्मिक मान्यता के अनुसार सोमवती अमावस्या व्रत कथा को इस दिन जरूर पढ़ना चाहिए. सोमवती अमावस्या व्रत कथा के अनुसार, एक गरीब ब्राह्मण परिवार में पति-पत्नी और एक बेटी थी. उनकी बेटी सुंदर, संस्कारवान और गुणवान थी लेकिन गरीब होने के कारण बेटी का विवाह नहीं हो पा रहा था. एक दिन ब्राह्मण के घर साधु आए. साधु ने कन्या के सेवाभाव से प्रसन्न होकर उसे लंबी आयु का आशीर्वाद दिया और कहा कि इस कन्या के हाथ में विवाह का योग्य है ही नहीं. इसके बाद ब्राह्मण पति-पत्नी ने इसका कोई उपाय पूछा तो साधु ने विचारते हुए कहा कि सोना नाम के एक गांव में धोबिन महिला अपने बेटे और बहू के साथ रहती है. वो बहुत ही आचार-विचाक और संस्कारों से परिपूर्णं परिवार है. अगर ये बेटी उस धोबिन की सेवा करती है और वो महिला इसकी शादी में अपने मांग का सिंदूर लगा दे तो इसका विवाह योग्य बन जाएगा. साधु ने बताया कि वो महिला कहीं भी आती-जाती नहीं है.

यह भी पढ़ें: Somvati Amavasya 2023: सोमवती अमावस्या के दिन किन चीजों का दान करना चाहिए? जानें

ब्राह्मण दंपत्ति ने अपनी बेटी से उस धोबिन की सेवा करने को कहा तो अगले दिन बेटी सोना गांव में जाकर उस धोबिन के घर का काम करने लगी. इसके बाद बेटी धोबिन के घर प्रात: काल में जाकर धोबिन के घर का सारा काम करके वापस आ जाती थी. एक दिन धोबिन अपनी बहू से पूछने लगी कि तुम सुबह उठकर सारे काम कर लेती हो पता भी नहीं चलता. तो बहू कहती है कि मां जी मुझे लगा कि वो सारा काम आप करती हैं क्योंकि मैं तो देर से उठती हूं. इसके बाद सास-बहू निगरानी करने लगीं कि आखिर कौन उनके घर का सारा काम करके चली जाती है. कुछ दिनों के बाद धोबिन देखती है कि एक लड़की मुंह ढककर अंधेरे में घर आती है और सारा काम करके चली जाती है. एक दिन धोबिन उस लड़की के पैर पर गिरकर पूछती है आप कौन हैं और इस तरह छिपकर मेरे घर की चाकरी क्यों कर रहीं? इसके बाद लड़की ने साधु की सारी बात उसे सुनाई.

यह भी पढ़ें: Somvati Amavasya Ke Totke: सोमवती अमावस्या पर करें ये उपाय, खुल जाएंगे तरक्की के द्वार

धोबिन पति परायण थी और उसमें तेज था. वह तैयार हुई और अपनी बहू से बोली कि उसके वापस आने तक वो घर पर ही रहे. धोबिन का पति अस्वस्थ रहता था. धोबिन उस ब्राह्मण के परिवार में आई और अपनी मांग का सिंदूर जैसे ही लड़की की मांग में लगाया तो धोबिन का पति मर गया. जैसे ही धोबिन को इस बात का पता चला तो वो निराजल ही अपने घर को चली गई. उसने सोचा कि रास्ते में पीपल का पेड़ मिलेगा तो उसे भंवरी देकर, पेड़ की परिक्रमा करेगी और जल ग्रहण करेगी. मान्याता के अनुसार, उस दिन सोमवती अमावस्या थी. ब्राह्मण परिवार से मिले पकवान की जगह उसने ईंट के टुकड़ों से 108 बार भंवरी दी 108 बार पीपल के पेड़ की परिक्रमा की. इसके बाद धोबिन ने जल ग्रहण किया और ऐसा करते ही उसके पति के मृत शरीर में जान वापस आ गई. धोबिन का पति जीवित हो गया. इसके बाद से महिलाएं सोमवती अमावस्या का व्रत इसलिए रखती हैं कि उनके पति की उम्र लंबी हो जाए. वहीं पितरों को जल और तिल इसलिए देते हैं कि उन्हें मुक्ति मिल जाए.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

यह भी पढ़ें: Somvati Amavasya 2023 Puja Vidhi: सोमवती अमावस्या पर इस विधि से करें पूजा, जीवन के सभी दुख होंगे दूर