Khatu Shyam Story in Hindi: ‘हारे का सहारा, बाबा श्याम हमारा’…ये स्लोगन आपने खूब सुना होगा. कोई अपने गानों में इसे गाता है, कोई अपने सोशल मीडिया पर ये लिखता है तो कई लोग अपनी कार में इसे लिखते हैं. यहां बाबा श्याम का मतलब सीधे खाटू श्याम से है जिनका भव्य मंदिर राजस्थान में स्थित है. देवउठनी एकादशी के दिन खाटू श्याम का जन्मोत्सव मनाया जाता है और इस दिन उनके सभी मंदिरों में भंडारा, भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है. बहुत से लोग उनके बारे में नहीं जानते हैं और भक्त उन्हें जानना चाहते हैं तो यहां आपको खाटू श्याम से जुड़ी सभी बातें बताएंगे.

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कौन हैं खाटू श्याम बाबा? (Khatu Shyam Story in Hindi)

राजस्थान के शेखावाटी सीकर जिले में परमधाम खाटू स्थित है. यहां खाटू श्याम का भव्य मंदिर बना है और पौराणिक कथाओं के अनुसार ये मंदिर महाभारत काल से बना है. यहां हर साल फाल्गु माह की शुक्ल षष्ठी से द्वादशी तिथि तक मेला लगा रहता है. खाटू श्याम बाबा का जन्मदिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन मनाया जाता है. इस साल ये दिन 23 नवंबर को पड़ा है और देशभर में उनके जितने भी मंदिर हैं वहां धूमधाम से इसका आयोजन रखा गया है. पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि खाटू श्यामजी भगवान श्रीकृष्ण के कलयुगी अवतार हैं. महाभारत काल में इस बात का उल्लेख भी मिला बै. पांडुपुत्र भीम के पुत्र घटोत्कच और घटोत्कच के पुत्र बर्बरिक थे जिन्हें खाटू श्याम के नाम से जाना जाता है और उनकी मां का नाम हिडिम्बा था.

Happy Birthday Khatu Shyam Wishes
खाटू श्याम बाबा की बर्थडे पर भेजें शुभकामनाएं. (फोटो साभार: Twitter)

भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन भीम के पौत्र बर्बरीक की वीरता देखना चाहते थे. उस समय श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से कहा कि इस पीपल के पेड़ के सारे पत्तों को एक ही तीर से छेद कर दो. इसके बाद बर्बरीक ने आज्ञा लेकर तीर को वृत्र की ओर छोड़ा और एक एक करके सारे पत्तों को छेदता गया. उसमें से तभी एक पत्ता टूटकर नीचे गिरा और श्रीकृष्ण के पैरों के पास आकर रुक गया. जिसपर उन्होंने श्रीकृष्ण से कहा कि प्रभु आपके पैर के नीचे एक पत्ता दब गया है कृपया आप पैर हटा लें क्योंकि मैंने तीर को सिर्फ पत्तों को छेद करने की आज्ञा दी है. आपके पैर को छेदने के लिए नहीं कहा है. इस चमत्कार को देखकर श्रीकृष्ण चिंता में पड़ गए और उन्हें लगा कि ऐसे में बर्बरीक को कौरव हारते हुए नजर आए तो वो उनकी तरफ से युद्ध करने लगेगा. इसके साथ ही एक ही तीर से पांडवों की सेना को समाप्त कर देगा.

पौराणकि कथा में आगे बताया गया है कि उसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने ब्राह्मण का भेष बनाया और बर्बरीक के शिविर द्वार पर भिक्षा मांगने आ गए. उन्होंने बर्बरीक को चुनौती दी कि वो उनके मनमुताबिक चीज नहीं दे सकते. बर्बरीक कृष्ण जी के जाल में फंस गए और इसके बाद भगवान ने बर्बरीक से उनका शीश मांगा. बर्बरीक ने अपना वचन निभाया और शीशदान कर दिया. उनके इस बलिदान को देख भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न हुए और उन्होंने कहा कि कलयुग में वे उनके नाम से पूजे जाएंगे. बर्बरीक को आज खाटू श्याम बाबा के नाम से पूजा जाता है. ऐसा माना जाता है कि खाटू धाम में स्थित श्याम कुंड से ही बाबा श्याम प्रकट हुए.

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