Narak Chaturdashi 2023: सनातन धर्म में कई सारे ऐसे त्योहार हैं जिन्हें पूरा भारत मिलकर मनाता है. उसमें से एक दिवाली का त्योहार है जो बहुत बड़ा बताया गया है. ऐसी मान्यता है कि 14 वर्षों के वनवास के बाद भगवान राम अयोध्या लौटे थे. उनके आने की खुशी में ही दिवाली का पर्व मनाया जाता है और इसे हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है. इसके दो दिन पहले धनतेरस और एक दिन पहले छोटी दिवाली या दीपावली मनाई जाती है जिसे नरक चतुर्दशी भी कहते हैं. नरक चतुर्दशी क्यों मनाई जाती है और इसे छोटी दिवाली क्यों कहते हैं चलिए आपको बताते हैं.

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नरक चतुर्दशी को छोटी भी दिवाली क्यों कहते हैं? (Narak Chaturdashi 2023)

भगवान श्रीकृष्ण और यमराज की पूजा-अर्चना की जाती है. नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi 2022 Kab Hai) का पर्व धनतेरस के अगले दिन मनाया जाता है. नरक चतुर्दशी को काली चौदस, छोटी दिवाली, रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू मान्यता के अनुसार, नरक चतुर्दशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था. नरकासुर के बंदी गृह में 16 हजार से अधिक महिलाएं कैद थीं, जिन्हें भगवान कृष्ण ने आजाद कराया था. जब से छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है. हालांकि इसको लेकर अलग-अलग मान्यताएं भी हैं लेकिन सबसे ज्यादा प्रचलित यही है.

Narak Chaturdashi 2023
नरक चतुर्दशी 2023 की तारीख. (फोटो साभार: Pixabay)

आपकी जानकारी के लिए बता दें, नरक चतुर्दशी के दिन हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए. इस साल नरक चतुर्दशी 11 नवंबर की रात मनाई जाएगी और इसे नरक चतुर्दशी भी कहते हैं. हनुमान पूजा का शुभ मुहूर्त रात 11.45 बजे से देर रात 12.39 बजे तक बताया गया है. नरक चतुर्दशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण, यमराज और धन की देवी लक्ष्मी मां की भी पूजा करने का प्रावधान है. इस दिन चौमुखा दीपक में चार बत्तियां लगाकर घर की महिलाएं रात के समय घर के बाहर रखती हैं जिससे उनके घर की सभी नाकारात्मक ऊर्जाएं समाप्त हो जाती हैं. इस दिन किसी की अलाएं-बलाओं को भी दूर करने की पूजा की जाती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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